Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 399
________________ ३७६ महापुराम भो भो पुरिससीह दुइस मिल पत्थु केण तुहूं आणिवि घडिट । सुहब कह व जइ मुयहि महीना तो पियहि गिरत्तु हेहामुहु। हाई कसैमसंति भजंतई अट्ठ वि अंगई पलयदु जंतई । मा सप्पैक्खहि छणचंदाणण भो पत्थिवपठमाणण माणण । इच्छ इच्छ मई पई ण पयारमि। घोरहु कतारहू उत्तारमि । भणेइ कुमारवीर किं खिजहि परपुरिसहु मणु देविण लज्जहि । वर एत्थु शिरसावहि सुक्यमि' परमारणिक्य णिरिक्खमि | वर णक्खाई सिलायलि भग्गई पाउ परणारीउरयलि लग्गई । दंसपंति पर जाउ दिसंतरि मा खुप्पस परवदुबिधाहरि । केसभार वर वाएं णिबध मा परपणयणीहिं कडिलर । वच्छत्थलु वर पक्खिहि खजउ मा परतृपयेथणेहिं पेल्लिज्जउ | पत्ता-णयणई घोलंति णिवारियाई दियबाट जाइ षियारहु ।। संतास पवढ्इ रयणिदिणु सित्ति ण पूरइ जारहु ।।९|| गेहंदुवारि गिरोह करेसइ पिसुणु को वि संगहणु धरेसइ । लहु आलिंगिवि मुकणिबंधणु लहु उट्टर संवरइ पइंधणु। आस कियमणु किं फिर कीलइ दुब्जेसु धूमें अप्पर णीलइ। अण्णु अण्णु जइ काइ वि मंतइ तो परयारित णियमणि चिंतइ । एयहिं सक्वेियहिं हर्ड जाणित एवहिं कहिं वश्चमि सदाणित । इहभवपरभवदुण्णयगारर परट्यरमणु सुट्ट विन्यारत। जाहि ण इच्छमि परघरसामिणि उध्वसि जई वि रंभ सुरकामिणि । रमणीयइ पररमणालुद्ध तं णिसुणिवि णहणारिइ कुद्धद। णरणाहे पियसहि वणि मेझिय साहिसाह सा छिदिवि घलिय । घसा-थरहरियपाणिपय सिरकमलु विहुरयालि सुहजणणियइ ।। णिवडतउ धरित सेई मुहिँ जक्खिइ चिरभषजणणिइ ॥१०॥ १० २. १. M कसमसति । २. Bomits this line 1 ३. B omits this foot | ४. M अक्खमि । ५. MB बायइ । ६. MB परतिय । ७. MB घोलत T चोलंति । १०.१. MB गेहि वारि। २. MB लइ। ३. MB म । ४. M संवरियत; B संवरिठ। ५. MB दुज्जस । ६. MB परतिय । ७. MB जहि । ८. MB रंभ जइ वि। . M सयंभुयहि 3 सयंभुवहिं।

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