Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 445
________________ ५ १० ܐ ५ ४२२ महापुराण १९ विलु वि दुविठु भुवणाई तिणि रयणाई तिणि जीव गई कहिया तिण्णि गुणषय तिष्णि जगि जोय तिणि चचि संसारसैरणु पिमाणु विहु जि दाणु च झाई वि जि बंधु चत्तारि वि बंधविणास विहू जि णासु णिज्जरु वि दुविध बज्जरह अरुहु । सलाई तिणि गुत्तीउ सिण्णि । जगवेढणमरु गारव वि तिष्णि । हयकार्ले भासिक काल तिष्णि । बालाss wefog भणितं मरणु । दिवा दीसमाणु । हानिन्यसाय | fara faag गुणगणणिदासु । भासइ णिज्जियजलजायकेउ । छत्ता---सञ्ज्ञा।य पंच आयारविधि नाग पंच वैरिई ॥ णिग्गंथ पंच जोईसकुलई पंचेंद्रियई वि सिट्टई ||१५|| अणगारागोरियाई पंच आसव निबंधऊ ७ पंच संसार सरीर होंति पंच छज्जीवका का समय छावासयविधीच पराईड अट्ट पुहईड अट्ठ णव पारायण व सीरधारि वह पत्थ दमे धम्भु दह भाषणसुर भवणंतवासि एयारह रुद्द रवद्दभाव पच्चिस अणुवेक्खयाई बारह रिंद पालियरहूंग [ ३७.१५ १ १६ पंचस्थिकाय समिदीउ पंच । ली महाणरया वि पंच । गुरु पंच मेठ गिरिवर वि पंच । छल्ले साभाव विसमय वि मय । वत्त विभय सचाहो महीउ | ( वणदेव जीवगुण से षि अट्ठ | ) डिसत्तु वि णव णिहि दुक्खहारि । tray वि दहषि सुकम्भु | फणिस सिसह वह दिसिगय सुहासि । एयारह विह सावय विगाव | बारह जिणवयण विणिग्गया । बारह तब बारहहि सुरंग । पत्ता - तेरह परियंगई अक्खियहूं तेरह किरियाठाणई ॥ चदह गुणठाणारोहणई चचद समापठाण ॥ १६ ॥ १५. १. MB पोग्लु दुबिहू । २. MB गिजर । ३. MB कहियादं । ४. MB संसारगमणु । ५. MB चल उभिण्णा चढविह कसाय ६ MB बिसिट्टई । ७. MB जोयस । १६. १. MB गारवयाई । २ MB वहभेय । ३. B अणुवेहावयाई । ४. MB बारह सव बारविह सुयं । ५. MB रविनय ।

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