Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 413
________________ ३२० महापुराण [१६.४.१ घरि आसीणाई सणेहदय लहु अब्भागयपडिवचि कय । हेट्ठामुह बहु वरेण भणिय कि हुई तुह मलिणाणणिय। घणु सोइइ एकाइ विजुलई वगु सोहह एका कोइला । इह सोह मि ६ एकाइ पई गुरुवयणु करेवड तो वि पई । मा ससहि सजणषच्छलिइ अलिणीलकुडिलमउकोंतलिद । तें क्यणे रोसंणियत्तण जायउं तहि रम्मु पेम्मु धणउं । वप्पिल संग्राइय रमणक्या तडिरयतडिवेयह तणिय ससा । चलणयणजुयलणिज्जियहरिणि रइकंता मयणवाई तकणि 1 एंबहसहासई राणियह परिणियई सेण खयराणियहं । पुणु पच्छेड़ गिरुवमभोयचइ ... ... ...बावसय में भोयवइ । घत्ता-सेणावइगह वइहयगयतियमइथवइपुरोहियजुत्तई ॥.. सज्जीवई रयणई रंजियणयणई सत्त तासु संपणई" ||| रोसेण सुहावइ हुकरइ ईसाइ ण पियपुरि पइसरह । सुरमणियवणियवणसिरिहि थिय भवणु रएप्पिणु सुरगिरिहि । घरदासिहि जसइवु किट अपणेबाइ रायड्ड विण्णविउ । परमेसर वणिसुय परिविय घरलंजियवेसे घरि थविय । संणिसुणिविणवा संचालित हरिखुरघूलीरच णहि मिलिन । पदभत्तहि शक्ति महासयहि संपतु णिवासु सुहावइहि । प्रियवयणहि विह विह जंपियन जिट जिह मणु मुद्धहि कंपियउ । ईसालुय पइणा उपसमिय जाइवि वणितणय ताइ णविय । विजाहरि विकमहरिहरिहि थिय सा वि पुंडरिकिणिपुरिहि । पहरणसालहि सुहलियतबद्ध उप्पण्णाई पछु णराहिबहु । णवणि हिवाइ जायउ चकवाद किं वण्णइ अम्हारिसु कुकइ । धत्ता-सलिमयलि रवण्णइ ससहरयण्णइ पद्धिवजिवि एकासणु ।। जसवैइयइ राएं सहुँ सपसाएं किंउ सुटुंहसभासणु ॥५।। ४. १. रोसु । २. MB संपाइउ । ३. MB 'वस 1 ४. MB सस । ५. MB पयट्ट । ६. MB राणियाहं । ७. MB'राणियाहं ! ८. B पुच्छा। ९. MB गिह । १०. MB संपत्तई । ५. १. MB स्व । २. MB पइभत्तिहि । ३. MB पियं । ४. B ईसालुन । ५. MB जसबद महिराएं । ६. MB सुहाहूं संभासणु ।

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