Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 417
________________ महापुराण चउरासीलक्खई कुंजराई तेत्तिय सहसई रहवराह। छण्णव सहासई राणिया बत्तीस णिहं संताणियाई । सोलहसइसई सिद्धहसुरई आणायराइं पंजलियराई। घरि बोरह रयणईणव वि णिहि महि एयछस अणुकूलपहि। सिरिचालहु पुराणु पवित्यरि जणु दण्णइ पुत्वभवायरिउं| जं णयरायरउप्पण्णु धणु तं जसवा पइसारइ भवः । सा सकलुस चविष सुहावइए .. छुद्धह संघियड जसोचइए । वसु पविण पपई मरणादणे. yort भीमणि पेयषणे | डज्मेवळ सहुँ विहिं कप्पडेहिं किं पुत्तकलप्तहिं लंपडेहि। धन्धा--ता मंति'' मासिङ गुरुगु फ्यासिई एवमाइ मा भासहि ॥ जसबइयहि केरी तिहुयणसारी सीलवित्ति मा दूसहि ॥८॥ जसवंइकुच्छिडि जिणु संभविही असवइयहि होही परमविही। जसवइयहि जसु महियलि ममिही जसवयहि पेय इंदु वि णषिही। परियाणिवि दिव्य मुणिंदु मुणि छम्मासहि होही एत्थु गुणि । देविड पेसणसंभाश्यस सिरिहिरिदिहि किपट भाइयउ । बसुहार पढिय परप्रंगणइ सुर मिलिय अणेय' णहंगणइ । हरि करि रवि जलणरासि जलिय दिट्ठी सोलह सिविणावलिय । थित चंडपुरंदरथुयचलणु जिणु देविहि देहा कयकलुणु । सा सुंवरि पविय सुरासुरहि भावणवेतरहिं सविसहरहि । तहि अवसरि माणमरट्ट चुट मणि धम्माणंदु अणंतु हुड । आवेप्पिणु णिम्मच्छरमश जसबह सई णविय सुहावनइ । दिर्स कषण सुरासहि अणुहरइ किं अवरहि रवि उम्ग करइ । का पुज्ज णारि पई माई विणु अण्णाइ उयरि किं धरिउ जिणु । पत्ता-अमुणिय संबंधइ पिरु रोसंघद फरुसक्खर ज जंपियः ॥ तं अमेरपियारिइ खमहि भडारिइ मई बालइ दुकिउ किथंई ।।।। ८. १. M तेत्तियई गि लक्खई संदणाह; B omits thla foot; K तेत्तियई सहासई रहवराहं । २. MB add after this : तहु परिय सुछ संदणवराई । ३. B सहस । ४. MB सहस संताणियाहं । ५. B सहासई । ६. MB सुराहं । ७. MB अणुकुलविहि; K बहि but corrects it to विधि । ८. MB पुण्ण । . MBK कप्पाहि । १०. MBK लंपरहि । ११, MB मंतिहिं । ९. १. MB जसवहहि कुञ्छि । २. MB पयई वि इंदु गविही । ३. MBT मुणि । ४. MB परपंगणइ । ५. MBK चंद । ६. MB सुरासुरेहि । ७. MB सविसहरेहि । ८. MB दिसि कम्वण । ९. MB भएवि अणु । १०. MB पिच । ११. MB अरुह । १२. MB फिउ ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463