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३४. १२.७] हिन्दी अनुवाद
३६७ था। रोमांचसे प्रसन्न बुद्धिवाले उस विद्याधर राजाने कहा कि अपने प्रिय पतिसे रमण करनेवालो कान्तावतीको प्रिय मेरी रतिकान्ता, श्रीकान्ता, मदनावती, वनमाला कन्याएं हैं। तुम उनके वर हो और कामदेवको जीतनेवाले मेरे दामाद ।
घत्ता-कान्तिसे स्निग्ध वह महागज खम्भेसे बांध दिया गया। भरत और स्वजनोंके लिए विनीत सिन्दुरसे पोला, फूलोंके समान दांतोंवाला वह गज मानो दूसरा दिग्गज हो ॥१२॥
इस प्रकार श्रेस महापुरुषों के गुणों और अर्ककारीसे युक्त इस महापुराणमें महाकषि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महाभा परत द्वारा शहए इस बाइलयारा
महाकरिश्रनकाम मामका चौतीसवाँ परिच्छेद समास हा ॥