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२९. २१. ११]
हिन्दी अनुवाद पत्ता-उस शक्तिषेणने नवकमलके समान हाथोंवाला वह वधूवर सेठके लिए समर्पित कर दिया और कहा, गजवरगामी मेरे स्वामीके घरमें रख देना ॥१९॥
सेठ तुरन्त शोभापुर गया और जबतक वह प्रभुको प्रणाम कर कान्ता सहित कान्तको सौंपे, तबतक यहां शक्तिषेण नामका सामन्त अपनो पत्नीको उसकी माताके घरमें रखनेके लिए, मानों खिलताहन हथिनी रख लिए, मालबती नगरीके जिनमन्दिर देखने और ससुरालके श्रीधरको देखने के लिए गया। परन्तु गुरुभार और शिथिल शरीरवाली पत्नी अटवीधीको ससुराल भी सहारा नहीं दे सका। वह श्रेष्ठ योद्धा ससुरालसे भी चला आया। आकर शोभापुर में प्रविष्ट हुआ। कल्याण चाहनेवाले तथा बढ़ रही है या जिसमें ऐसे उसने राजासे भेंट की और वधूवरको मांगा। वह उन्हें अपने घर ले गया और अपना घर, गोकुल, भैंस, फलक्षेत्र, ग्राम, मासन, भूषण और वस्त्र सब कुछ दे दिया । मन्त्री भी तप करके कहीं स्वर्ग चले गये। मेरुदत्त भी मर गया । तथा प्रकट है वैभव जिसका ऐसी उसी देशको पुण्डरीकिणी नगरीमें कुबेरमित्र नामका वणिक हुआ, जिसका चित्त राजा-प्रजापालमें लगा रहता था।
घसा-फिर धारणी भी यद्यपि वह सम्यक्त्व धारण करनेवाली नहीं थी, पुण्यकारणसे व्रतोंका पालन कर, पापको नष्ट कर धनपतिकी सेठानी हुई ।।२०||
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दूसरे जन्ममें निदान बांधनेवाली तथा पुत्रकी इच्छा रखनेवाली वह इकतीस स्त्रियोंमें प्रधान थी । गर्वेश्वरी वह समस्त कलाओंमें निपुण, हंसकी तरह चलनेवाली, स्वरमें वीणाके समान थी। पशुवध करनेवाले उस दुष्ट नवदेवने उस वधूवरको आगमें जला दिया। घरमें आर्तध्यान कर वहीं मरकर वे इसी नगरके सेठके घरमें सुन्दर कबूतरके जोड़ेके रूपमें उत्पन्न हए हैं, गंजाके समान अरुण आँखोंवाले रंगसे श्याम । कूबड़े और बौनों द्वारा वह कबतर-कबूतरीका जोड़ा ग्रहण किया जाता और परिजनों के द्वारा उससे सम्भाषण किया जाता । पुकारनेपर नाचता और शब्द करता। भेजा गया क्रीडापूर्वक जाता। राजा पूछता है-'पापी कहाँ जाते हैं और धर्मसे जीव कहाँ निवास करते हैं ?' वह कबूतरका जोड़ा उसे चोंचसे नरक बताता है और उठी हुई उसी चोंचसे स्वर्ग-अपवर्ग बताता है। वहाँ मैं पक्षिणी रतिसेना नामकी यो और तुम स्तेहको कामना रखनेवाले रतिवेग थे। जब हम लोग कोड़ा करते हुए रह रहे थी तभी वह शक्तिषेण ( सामन्त ) मरकर