Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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४. २.८
httpet महापुराणी वि . जी. णिसि णिवा लिसइ सोसियवयणु पत्तउ विमललमसुंगतणु । जलु जोयहुं चलित खगाहिवह जा विढि कमलवाविहि घिवइ । ता सुक णिरिक्खिय तेण कि पिण्णेह विलासिणिकील जिह। पत्ता-दृसियंदेहुण्डाइ लइयड तण्डा धायझलकारीणठ॥
वसत्तच्छयतलि खगकोलाइलि जहिं अच्छइ आसीणउ ||२||
विजाहरेण मासासियउ सहि जायवि पढ़ संभासियत । आइिंडिवि देव असेसु वणु मा बीहि आणवि सिसिरु वणु । इय मणिवि वेयवाहिणि सरिया गड दिट्ट तेण पाणियभरियाँ। अइअविहयह रिणुतणियहि अणुहरिय सा वि मायण्हियहि । रायाहिराय दलियावह सोसिय कण्णाइ सुहावईइ । पिड जाइवि मालइ साडियस तहाफिलेसु णिद्धाडियर। अलहंतु सलिलु विडवुभाहु आयउ सरसेणु सरीयडहु । छण्णइ कण्णइ बोझावियर तुई केण इप्प बेहादिय:। किं पाविजा घरु रमणु पई जजाहि तुरिउ भणिओ सि मई। एयहु रिज दुञ्जय अस्थि जइ मा करहि विच अहिमाणमइ । सं णिसुणिवि सो पझट्ट पर णिविसेण पराइउ णिययघरु । सयणई संबंधु समासियत श्वाविजलोहर सोसियउ। सई पुहरिंदु परिग्गदिड । हङ एन्धु कुमारिए "संपहिउ"। पत्ता-तहि तणियइ मौलिइ चलभसैलालिङ पहु छुइ तण्डु ण पावइ ।।
जसु घरिणि सुहावह हियवउ रावइ तासु दुक्खु कहिं आवइ ॥३॥
६. M दूणिय । ३. १. MB आणउ । २. MB सरिय । ३. भरिय । ४. MB हरिणु व वण्डियहि । ५. MB वियडमउद्धः
I विडम्भबहु । . MB add after this the couplet :
पत्ता-खरतावविभोसें गिभविसेसें कच्छवमच्छवहा॥
असिलदिव दीसा कि किर सीसह णिण्णाणिय ण हई ॥१॥ and number the कवक as 3 and subsequert कढतकs as 4 etc., upto 13 | ७. MB रमण । ८. M णिवसेण; B णिमिसेण । ९. MB णयवावि । १०. MB संपिहिज । ११. MB add after this the following three linus : हरिणुल्लज वहइ ससंकु जल, संजणा सविंबर तेण मल, महससहरु मिगणयणबहार, अपपंत जाहि पोढिम वहः कय उत्तिम जासु वियवखणिय, अहिंदीसह तह जि सलबलणिय । १२. MB माला: K मालिक but correcta it to मालइ। १३. MBK "भसलालह। १४. M किं।

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