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२२, ७.१४]
हिन्दी अनुवाद
जो रचनामें सुन्दर है, जिसके प्रासाद आकाशतलको छूते हैं, जो मुनीन्द्रोंके द्वारा मौम्य है, जिसमें जिनके द्वारा उपदेशित धर्म है, जो धनसे समृद्ध और यशसे प्रसिद्ध है, जो शास्त्रोंसे प्रबुद्ध और व्रतोंसे विशुद्ध है, जो सघन उद्यानोंसे युक्त है और विशाल बस्तीवाला है, जिसमें प्राकार ( परकोटे) और दुर्ग हैं। जिसमें अनेक मार्ग हैं। जिसमें अनेक प्रकारके कई द्वार हैं। जो जनोंसे महार्थवती है और कृत्योंसे कृतार्थ है, जो भयसे विमुक्त और सदेव चोरोंसे रहित है उस नगरी में लक्ष्मीसे अप्रमेय महानसे महान् गुणी वज्रदन्त नामका चक्रवर्ती राजा है जो सन्मार्गका अनुकरण करनेवाला है। कृतान्तके समान वह दम्ड धारण करता है और उसकी प्रिय पत्नी सती है।
पता-लक्ष्मीवती वह लक्ष्मीके समान उसके विशाल वक्षस्थलपर लगी हुई शोभित है, मानो जैसे क्रुद्ध कामदेवके द्वारा मुक्त भल्लोके समान हृदयमें जा लगी हो ।।६।।
शत्रुरूपी हरिणसमूहको विदारणके लिए ज्याषाके समान उस राजाफा उस सुन्दरीसे श्रीके समान, श्रीप्रभ सुरविमानमें निवास करनेवाली स्वयंप्रभदेवसे विलास करनेवाली (स्वयंप्रभा ) धोमती नामकी कन्या हुई, जो कुमारोंके लिए कामसूचीके समान थी। कंकुम सहित उसके पैरोंका क्या वर्णन करूं, मैं उसे कामदेवकी मुद्राका अवतार मानता हूँ। पराग मणियोंकी कान्तिकी तरह चोखे और लाल उसके चरण क्या नक्षत्रों की तरह शोभित नहीं होते। उस तरुणीके घुटनोंके जोड़ोंको देखकर मुनि लोग भी कामदेवका सन्धान कर रहे है, उसके उररूपी अश्व क्रीड़ास्थलके भीतर गिरी हई, किसकी बेचारी मनरूपी गेंद नहीं चलने लगती। उसकी करधनीको गुरुताको देखकर किसका गुरुत्व और यश नष्ट नहीं हुआ। उसकी हृदयावली और रोमावली युवकोंके लिए कामदेवकी अग्निको धूम्रावली थी। इसका नाभिरूपी कूप रतिरसका शासन था। और त्रिवलिभंग उसकी उम्र के भंगका प्रकाशन पा। उसके स्तनोंकी सघनतासे विटोंकी सघनता (दुष्टता) अवश्य नष्ट होगी, विषसे विष अवश्य नष्ट होता है। जिसका शरीर कामदेवकी भूमि था, और उसका हाथ शुभ कामकुण्डके रूपमें स्थित था।
पत्ता--पूगफलके कण्ठके समान उसके कुण्ठको देखकर कोन उत्कण्ठित नहीं हुआ। उस मुग्धाका मुखरस शुभ सुवर्णकी सिद्धि करनेवाला सिद्धरसके रूपमें प्रतिष्ठित था ॥७॥