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२८.२.१४ ]
हिन्दी अनुवाद
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भातमें से अँजुली-भर चावल खाया जाता है। लाखों रथोंमें मेरा एक रथ है । मनुष्य बड़े मनुष्योंका प्रतिबद्ध (दास) है, अश्व अश्ववाहोंका, और हाथी हाथियोंका । प्रासादोंके भीतर भी शयनतल होता है। लो, इस प्रकार परिणीतलका भोग किया जाता है। तब भी जीव राज्यत्वसेक्षपको प्राप्त होता है; यह क्षणभंगुर और बहुत सन्तापकारी है। चक्र क्या कालचक्र से बचा सकता है, क्या वह छत्रसे ढके हुए जोवको नहीं देखता । दण्ड कुगतिके दण्डको दरसाता है, मणि आकाशसे च्युत बिजलीकी तरह है। असि (तलवार) कृष्ण उद्भट लेश्याका कारण है, सेना यमके नगाड़ों के शब्दको धारण करनेवाली है। दुःखोंसे आलिगित घरतोकी इच्छा करनेवाले हम-जैसे लोगोंके पास कार्कणी मणि क्षण-भर के लिए शोभित होता है । राज्यत्व और परिग्रह रहे । मैं मुनि हूँ, केवल वस्त्रोंसे घिरा हुआ हूँ । प्रतिदिन इस प्रकार ध्यान करते हुए उसके ( भारत के ) राग परमाणु धूलिके समान उड़कर जाने लगते हैं ।
पत्ता - इस प्रकार राजेश्वरके निकलते हुए मनोमलसे पूरित करकंगन और केयूर आभूषण शीघ्र ही धरतीपर गिरने लगते हैं ||२॥
पद
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राजनीति विज्ञान उसीका कहा जा सकता है, जिसके मन्त्रका मेदन शत्रुमनुष्यों के द्वारा न किया जा सके। जिसकी तलवार से युद्ध में कोई नहीं बचता, जिसका प्रताप दिशाओंों में फैलता है, जो सवेरे परमात्मा की पूजा कर मंगलवस्त्र पहनकर न्यायशासनमें अपना मन लगाता है, समस्त प्रजा-वृत्तियों को चिन्ता करता है, अधिकारियोंको अपने नियोग में लगाता है, राजा सम्भाषण ओर दानसे रंजित करता है। वह स्नेहपूर्ण अवलोकन हैसीसे सम्मानित लोक अभिलाषामों और धनके उपायसे कितने लोगोंका बादर करता है, शत्रु मण्डल में धरोंको मेजता है, प्रवर स्वर्णपिण्डोंसे प्रसन्न करता है, फिर दरबारको विसर्जित करनेको इच्छा करता है, और घरमें स्वच्छन्द विहारसे रहता है। मध्याह्न में स्नानके लिए प्रवेशकर अपने शरीरको भूषणोंसे सजाकर, जिसमें बालाबोंके द्वारा संचालित है चमर ऐसी किसी राजलीलासे रहता है। भोजन करनेके उपरान्त राजा नृपगोष्ठी में अत्यन्त सन्तुष्टि के साथ अपना समय बिताता है।
पत्ता - घण्टी बाघातसे जाने गये तीसरे प्रहरका एक क्षण बीतनेपर राजा वेश्याओंके साथ कोड़ा विनोद करता हुआ रहता है ||३||
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