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२३. १३. १४ ]
हिन्दी अनुवाद
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उसके पश्चिम विदेह गन्धिल्ल देशमें, अप्रिय चीजोंसे मुक्त अयोध्या नगरी है। उसका राजा जयवर्मा है और उसकी प्रिया सुप्रभा है। वहाँ आकर वह इन्द्र उन दोनोंका पुत्र हुआ, अजितंजय नामसे विजय प्राप्त करनेवाला । राजा दीक्षा के पीछे पड़ गया। पिताने ( मुनि ) अभिनन्दनसे याचना की। उन्होंने उसे पांच महाव्रत दिये। उसने सातों भयोंको छोड़ दिया । मृगोंको विजित करनेवाले सिहसे जैसे सिंह नष्ट हो जाते हैं, वैसे ही उसकी भी इहलोक और परलोकको आशाएं नष्ट हो गयीं। कठोर आचाम्ल तपका आचरण कर कर्मको आठों गाँठोंको नष्ट कर वह शित्री होकर, शिवपद के लिए चला गया। निरामय सुखका नाम ही शिव है। किसी दूसरे त्रिशूली नरमुण्डों की माला धारण करनेवाले हाथ में कपाल लेनेवाले का नाम शिव नहीं है । क्षुधा, काम और कोधका नाश करनेवाली सुदर्शना के पास सुप्रमाने व्रतका पालन किया, उसका affar द्वारा कैसे किया जा सकता है ? कानों और ओखोंके सुखोंका नाश करनेवाले स्पर्श और रसना इन्द्रियोंके स्वादपर अंकुश लगानेवाले रत्नावली व्रत और रत्नत्रयसे युक्त और बादमें संन्यास धारण करनेवाली
त्ता - उसने मनुष्यके कुनिमित्तोंको छोड़ते हुए सुदुर्लभ देवनिकाय के अच्युत स्वर्ग में अनुदिश विमान में देवत्व प्राप्त कर लिया ||१२||
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वह रत्नों और प्रहरणोंसे शत्रुओंके सुभटत्वको त्रस्त और ध्वस्त करनेवाली धरतीको प्रभुता अजितंजयने क्षेत्र विभाग और पर्वतादिकी अवधि बनाकर की। धर्मकी घोषणा करनेवाली डुगडुगी पिटवाकर वह एक दिन समवसरण में गया। अपने दोनों हाथ जोड़कर उसने तीर्थंकर अभिनन्दनकी वन्दना की और उनके आगे बैठ गया। वह मेरुके समान निश्चल मन स्थित था । उसने पांचों अपस्स्रवोंके द्वारोंको रोक लिया । विशुद्ध चित्त वह मुनिके समान समझा गया। वह देवोंके द्वारा पिहितालव कहा गया। मैंने उस अवसरपर माता और पुत्रका वृत्तान्त कहा और उसे सम्बोधित किया। मुनिधर्मको सुननेके कारण शान्त मतिवाले बीस हजार राजाओं के साथ, वह गुरुमन्दर मुनिकी शरण में गया और मुनि होकर उसने मोहका नाश कर दिया। चारण ऋद्धियों और सर्वावधिज्ञानकी संसिद्धिसे आलिंगित हुआ। क्षमाको प्राप्त करनेवाली वणिक पुत्री तूने निर्मिका नामसे होकर सांप, हरिण, भोल और भोलनियोंके घरस्वरूप अम्बरतिलक पर्वत में उन्हें देखा । उनके पास बहुत समय तक धर्म सुना । बहुत कहने से क्या, वही मेरे भो गुरु हैं। स्वर्ग में हम दोनों रमणको मानते हुए, दस-दस सागर ( बीस सागर ) जिये ।
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