________________
.
.
.......
हिन्दी अनुवाद निकला ? घोड़ोंकी घुलसे स्वगं धूसरित हो गया। दिशाओं और विदिशाओंके मार्ग छनोंसे आच्छादित हो गये। अस्त्रांक विस्फुरणास चमकते हुए मही दिशान्त चारों ओर दिखाई देने लगे। हाथियोंके मदजलधाराओंसे ताल भर गये | घोड़ोंको लारसे गम्भीर कीचड़ हो गयी। गुरुजनोंके वियोग-सन्तापके कारण गिरते हुए पुत्रीके आंसुओंको पोंछने के लिए दूसरी कामि. नियों सहित कमलमुखी उसके साथ एक पण्डिता भेजी। जिसमें पास-पास मार्ग हैं, सरोबर सोमोद्यान और श्रीका निवास है ऐसे सुन्दर प्रदेशको देखते हुए अपने स्वजन समूहको पूछते हुए राजा अपने भवनकी ओर लौटा ।
पत्ता-सुन्दर पथपर जाता हुआ दूसरा भी दिन उत्पलखेड़ में प्रविष्ट हुआ। पुरजनों और परिजनोंने तोरण बांधकर मंगलों और तिलोंके दर्शन किये ||२||
अपने पिताके धरमें वधू के साथ कुमार सुखसे रहने लगा, मानो रतिसे रंजित कामदेव हो। लक्षणों और सूक्ष्म चिह्नोंसे प्रसाधित इक्यावन पुत्र-युगल (एक अधिक पचास ) श्रेष्ठपुत्र श्रीमतीसे पैदा हुए, उसी प्रकार जिस प्रकार कवि-प्रतिभा सुन्दर काव्यों को जन्म देती है। एक दिन राजा बज्रबाहु, जो सुन्दर कोड़ाओंके लिए मेघके समान था, सौषतलमें सिंहासनपर बैठा हुआ था, तब उसने आकाशतल में चन्द्रमाकी श्रेष्ठकिरणके रंगका शरीष देखा, मानो जैसे विधाताने दिव्य घर बना दिया हो। ऊँचे शिखरवाले देवविमानके समान वह भी फिर विलीन होते हुए दिखाई दिया। राजा विचार करता है जिस प्रकार यह मेध चला गया, उसी प्रकार में भी नाशको प्राप्त होऊंगा। जोवन-धन-पुत्र-कला और घर मेघके समान किसके पास स्थिर रहते हैं ? यह सोचकर उसने शत्रुनरके लिए अलंध्य वनजंघके लिए कुलथी सौंप दी । और अपने बहुत-से बहुश्रुत पुत्र-पुत्रों और दूसरे भी स्थिर भुजावाले राजाओं के साथ उसने जिनदीक्षा से ली। उसने कमोसे मोक्ष पाकर परम सुख प्राप्त कर लिया। यहां भी जिसकी गलियोंमें सुरसुन्दरिया भ्रमण करती हैं ऐसी पुण्डरीकिणो नगरीमें
पत्ता-शुभमें प्रेमको निबद्ध करनेवाला वह राजा चक्रवर्ती रह रहा था, तब रात्रिके समय एक मुकुलित दलवाला सुरभित कमल उद्यानपालने लाकर दिया ।।३।।
उस कमलको लेकर राजाने देखा, लक्ष्मी { शोभा) के घरको कौन नहीं देखता? क्रीड़ानुरागी वह राजा उस फूलको खोलता है, जैसे काम लक्ष्मीका मुंह देखनेके लिए ( उत्सुक हो);
२-१७