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२६. १८.९] .::..:: :: :: . हिली अनुसार ....
१७३ बाईस हजार वर्ष आयवाले ऐसे थे मानो इन्द्रायुध करनेवाले नवपावस हों। वरदत्त, वरसेन, चित्रांगद और कामविजेता प्रशान्तवदन ये चारों ही मुनिवर समान चार विमानोंके भीतर उत्पन्न हुए।
पत्ता-क्या भारतको आलोकित करनेवाला चन्द्रमा है ? नहीं, आकाश-कटितलपर कागणी मणि रख दिया गया है । देवोंका गुरु, बुधों में शिरोमणि अच्युतेन्द्रके गुणसमूह गिनता है ||१८||
इस प्रकार प्रेसठ महापुरुषोंके गुणालंकारोंबाळे इस महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित एवं महामन्य मरत द्वारा अनुमत इस काम्पका मोगभूमि श्रीधर-स्वयंप्रभा-सुविध-काव
इन्द्र-प्रतीन्य जन्म वर्णन मामका बीसवाँ अध्याम समा हुभा ॥२॥