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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
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सेनापति के साथ आये हुए मनुष्यों की तरफ नजर फेंकते हुए महाराज वीरधवल ने सेनापति के नजदीक बैठे हुए एक महान् तेजस्वी, सौम्यमूर्ति, भाग्यवान सुंदर युवक को देखा । उसे देखते ही राजा की मनोवृत्ति सहसा उस तरफ आकर्षित हो गयी । अतः - महाराज ने प्रश्न किया 'सेनापति यह तुम्हारे साथ का युवक कौन हैं?' इसकी सुंदर आकृति तो राज कुमारों के समान तेज मालूम होती है, यह बात सुनते ही उस युवक का संकेत पाकर चतुर सेनापति बोल उठा - "महाराज! यह मेरा छोटा भाई है । चंद्रावती नगरी को देखने की इच्छा से हमारे साथ चला आया है। इस युवक को देखकर राजा के मन में कुछ
और ही भाव पैदा हुआ था । राजकुमारी मलयासुंदरी युवावस्था को प्राप्त होने से राजा अपनी चिंता को दूर करने के विचार में था, परंतु यह कोई राजकुमार नहीं है, यह समझकर उसने अपने विचारों को मन में ही दबा लिया था ।
राजकार्य निवेदन किये बाद राजा ने उन्हें सन्मान देकर निवास स्थान दिया । उस मकान में वे सबके सब जा ठहरे । राजसभा विसर्जन हुई । सभा से बाहर आने पर उस युवक ने अपने संबंध में उत्तर देनेवाले सेनापति की बड़ी प्रसन्नता पूर्वक प्रशंसा की । क्योंकि यह बनावटी उत्तर देने का कारण उस युवक का चंद्रावती में गुप्त प्रवास था । एक सुंदर महल में उतारा किये बाद वह युवक अपने साथियों को कहकर अकेला ही चंद्रावती नगरी की शोभा देखने के लिए निकला।