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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
दुःखों का अन्त न्याय निष्टता से प्रजा को विशेष रंजित व सुखी किया । अपने प्रचण्ड बाहूबल से शत्रुराजाओं को भी उसने थोड़े ही समय में वश कर लिया । यहाँ पर महाबल सिद्धराज के ही नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
अनंतकाल पहले ज्ञानी भगवंतों ने, जो कुछ होने वाला है, वह सभी देखा हुआ है । उस होने वाले कार्य में तिल मात्र भी रद्दोबदल करने की क्षमता-शक्ति, होने वाले तीर्थंकरों में भी नहीं, यह है निश्चय के घर की बात। क्या होने वाला है? यह जिन्हें ध्यान में नहीं, उन्हें क्या करना । तब कहा गया है कि 'हमसे वही होगा जो ज्ञानियों ने देखा होगा ।' यह लक्ष्य बिन्दु निश्चित कर हर आत्मा को शुभ कार्य प्रिय लगते हैं, अतः 'अशुभ का त्याग शुभ में प्रवृत्ति' यह है व्यवहार के घर की बात।
- जयानंद
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