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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
विचित्र स्वयंवर निषेध करने पर भी उसके साथ चल पड़ी।
इधर वीरधवल राजा ने उन राजकुमारों के पास जाकर उन्हें खूब समझाया, परंतु उन्होंने एक न सुनी उलटा रोष में आकर वे महाराज वीरधवल को डराने लगे कि प्रातःकाल होने पर हम तुम्हारे जमाई को मारकर, कन्या को लेकर जायेंगे । परंतु खाली हाथ हम यहां से बिल्कुल नहीं जायेंगे । अब महाराज वीरधवल ने उनको समझाना बुझाना छोड़ महल में आकर महाबल के लिए तुरंत ही एक शीघ्रगति गामिनी सांढनी तैयार करवायी । अब जल्दी तैयारी कराने के लिए राजा मलयासुंदरी के महल में आया; परंतु वहां आकर, उसने महाबल और मलयासुंदरी को न पाया । वेगवती ने कहा - वे गोला नदी के किनारे देवी का दर्शन करने गये हैं । अभी वापिस आयेंगे । राजा उनकी राह देखता हुआ वहां ही बैठ गया । राह देखते हुए रात्रि का दूसरा पहर बीता, तीसरा पहर बीता और अंत में प्रातःकाल होने आया परंतु उन दोनों में से एक भी वापिस न आया । राजा आकुल व्याकुल हो उठा; गोलानदी, भट्टारिका देवी का मंदिर इत्यादि सब जगह तलाश करने पर भी उनके कहीं पदचिह्न तक भी नहीं मिले । प्रातःकाल में महाबल और मलयासुंदरी के गुम होने का समाचार सुनकर वे तमाम राजकुमार निराश होकर अपने - अपने देश को चले गये ।
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