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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
हस्योद्घाटन किया हुआ है । अब इसके बाद मैं जो कुछ कहूँगी वह मैंने छिपकर उस शून्य घर में रहकर लोगों के मुख से सुना हुआ होगा।" मलयासुंदरी बोली कुछ हरकत नहीं, फिर राजा की क्या दशा हुई यह सुना ।"
सोमा - "राजा कुछ देर बाद जागृति में आते ही ऊंचे स्वर से पुकार करने लगा । भय से व्याकुल हो रानी चंपकमाला भी वहाँ पर आ पहुंची और प्रधान से कहने लगी मंत्री! यह प्राणनाशक अकस्मात् दूसरी घटना बनी? अश्रु पात करते हुए सुबुद्धि नामक मंत्री ने राजा के साथ स्वयं देखा हुआ और कानों से सुना हुआ कनकवती का सर्व वृत्तांत महारानी चंपकमाला को कह सुनाया । राजकुमारी की सर्वथा निर्दोषता और कनकवती का प्रपंच जाल मंत्री द्वारा मालूम होने से मलया सुंदरी की मृत्यु के शोक से तमाम लोगों के नेत्रों से जलधार बहने लगी। रानी चंपकमाला राजा के कंठ का अवलंबनले निर्दोष पुत्री के मृत्यु शोक से करुणस्वर से रुदन करने लगी । इस समय सारे महल में तो क्या सारे शहर में शोक का साम्राज्य छा गया। राजमहल में इतना करुणाजनक रूदन होने लगा कि जो सुनने वाले मनुष्यों के हृदय को रुलाये वगैर न रहता था। विलाप करते हुए राजा और रानी को आश्वासन देते हुए प्रधानमंत्री बोल उठा - "महाराज! इस तरह रूदन करने से अब कुछ लाभ न होगा। चलो जल्दी उठो; वहां जाकर उस अंधकूप में राजकुमारी को तलाश करें । कदाचित् हमारे पुण्योदय से राजकुमारी उस अंधकूप में जीवित मिल जाय?" __रोना धोना छोड़कर राजा आदि हजारों मनुष्य मध्यरात्रि के समय उस अंधकूप के पास जा पहुंचे । शीघ्र ही बड़ी - बड़ी मशालें जलवाकर प्रकाश सहित उस अंधकूप में मंच द्वारा मनुष्यों को उतारा गया । परंतु चारों तरफ अच्छी तरह तलाश करने पर भी उस अंधकूप में राजकुमारी का चिह्न तक भी मालूम न हुआ । निराश होने के कारण क्रोध से भभकता हुआ राजा वहाँ से वापिस कनकवती के महल में आया । द्वार खुलवाकर, अंदर तलाश की परंतु वहां पर कोई भी दिख न पड़ा । इसलिए महाराज ने राजपुरुषों को आज्ञा दी कि जाओ । उस दुष्टा की तलाश करो; वह दुष्कृत्य करके कहाँ भाग गयी? मालूम होता है; पिछली खिड़की से कूद गयी है । सब जगह तलाशकर, उस
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