________________
श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
विचित्र स्वयंवर दौड़ा हुआ आता मालूम दिया । वह जोर – जोर से चिल्ला रहा था, ठहरो! ठहरो! साहस मत करो! राजकुमारी मलयासुंदरी अभी जीवित है । कानों को अमृत के समान उस सिद्ध ज्योतिषी के वचन सुनकर उस भीड़ में से कई लोग उसके सन्मुख दौड़े और उसे और भी जल्दी आने के लिए हाथों का इशारा करने लगे । तमाम लोगों की नजर उस आगंतुक ज्योतिषी की तरफ ही लगी हुई थी। उसके नजदीक आते ही उत्सुकता के साथ कई आदमी बोल पड़े, हे महानुभाव! क्या राजकुमारी कहीं जीवित है?
सिद्ध - "हाँ हाँ राजकुमारी जीवित है और वह सुख में हैं" यह सुन हर्षित हो भीने हुए कपड़े धारण किये हुए महाराज वीरधवल और रानी चंपकमाला आतुरता से बोले - "क्या सच है हमारी पुत्री मलया जीवित है?"
सिद्ध - "महाराज! राजकुमारी कुएँ में पड़ने से मरी नहीं, वह अभी जीवित है । मैं आपको सब कुछ बतलाऊंगा, आप पहले पानी से इस चित्ता को ठंडी करा दें । राजा की आज्ञा न होने पर भी कई राजपुरुषों ने चिता को ठंडी कर डाली । ज्योतिषी बोला - "महाराज! मैं जो कहूँगा उसमें आप पूर्ण विश्वास रखें । मैंने अष्टांग निमित्त शास्त्र का खूब अभ्यास किया है । अतः मैं अपने अचूक निमित्त ज्ञान से ठीक कह रहा हूँ कि आप धैर्य धारण करें व्याकुलता को छोड़कर स्वस्थ हो जायें, मलयासुंदरी जीवित है और वह आपको अवश्य मिलेगी । सिद्धज्योतिषी के अमृतमय वचन सुनकर शांत हो राजा बोला - "निमित्तज्ञ महाशय! क्या मेरा इतना पुण्य बाकी है कि यमराज के उदर समान उस अंधकूप में फेंक दी हुई अपनी निर्दोष पुत्री को फिर से मैं इन आंखों से देख सकूँ? मैंने कल रात को ही उसे उस कुएँ में तलाश कराया, परंतु वहां पर उसका पदचिह्नतक भी मालूम न हुआ, इसलिए मालूम होता है उसे अवश्य ही किसी हिंसक प्राणी ने खा लिया होगा? हाय! संतान घातक पापी को मरण के शरण से आश्वासन दे के क्यों रोकते हो?
सिद्धज्योतिषी - "राजन्! आज जेठ महीने की कृष्णा द्वादशी है । आज से तीसरे दिन अर्थात् चतुर्दशी को जब अलग - अलग देशों के अनेक राजकुमार
88