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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
हस्योद्घाटन
. कृष्णजी ने उल्लासपूर्वक महोत्सव कर गजसुकुमाल को श्रीनेमिनाथ भगवंत के पास प्रव्रज्या प्रदान करवाई।
गजसुकुमाल मुनि ने श्मशान भूमि पर काउस्सग्ग हेतु आज्ञा मांगी । प्रभु ने आज्ञा दी । मुनि भगवंत ने श्मशान भूमि पर काउस्सग्ग किया
___ श्वसुर सोमिल वहां आता है, मुनि भगवंत को देखकर क्रोधित बनता है। मेरी पुत्री का भव बिगाड़ने वाले को सजा +, इसका फल चखा हूँ। पास में पड़ी हुई मिट्टी से मस्तक पर पाल बांध दी एवं उसमें दहकते अंगारे भर दिये। ___ मुनि भगवंत समता रस के पान में निमग्न थे । समता रस के नीर में स्नान करते थे । आत्म - रमणता की मस्ती में मग्न थे । देह से पर हो रहे थे। देह से ममता का नाता टूट चुका था। देह जल रहा था, आत्मा पुष्ट बन रही थी। अन्तर्मुहूर्त में क्षपक श्रेणी पर आरोहणकर केललज्ञान एवं केवल दर्शन प्राप्त कर स्व स्थान (मोक्ष) को प्रास हुए।
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