Book Title: Lokprakash Part 01
Author(s): Padmachandrasuri
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 23
________________ (xxii) xxxs क्र० नाम आगम क्र० नाम आगम सर्ग श्लोक स० संख्या संख्या स० संख्या संख्या २६६ भगवती सूत्र वृति ३ १२६६ | २६५ प्रज्ञापना की वृति ४ १४६ २६७ भगवती सूत्र चूर्णि . ३ १२६६ | २६६ प्रज्ञापना सूत्र की वृति ५ . ७ २६८ आचारांग सूत्र ३ १३०८ २६७ उतराध्ययन की वृति ५ ७ २६६ आवश्यक बृहद वृति ३ १३५७ २६८ प्रज्ञापनां वृति ...५ १५ २७० प्राचीन गाथा-२ ३ १३५८ | २६६ आचारांग सूत्र ५ ४६ २७१ प्राचीन गाथा ३ १३६२ | ३०० प्रज्ञापना वृति . ५. २७२ प्राचीन गाथा . ३ १३७७ ३०१ सिद्धांन्त में . ५ २७३ प्राचीन गाथा ३ १३८० ३०२ भगवती सूत्र . .: ५ ६० २७४ प्राचीन गाथा ३ १३६७ ३०३ प्रवचन सारोद्धार - ५ २७५ प्राचीन गाथा ३ १४०० ३०४ प्राचीन गाथा - ५ २७६ जीवाभिगम सूत्र ४ २६ ३०५ प्राचीन गाथा ५ २७७ आचारांग नियुक्ति वृति ४ २६ | ३०६ प्राचीन गाथा २७८ प्राचीन गाथा . ४ ३५ | ३०७ प्राचीन गाथा २७६ भगवती वृति . ४ . | ३०८ प्राचीन गाथा २८० जीवाभिगम वृति ४ ३०६ प्रज्ञापना वृति २८१ प्राचीन गाथा ४ . ३१० आचारांग वृति ५ ५ २८२ भगवती सूत्र ४ '(गाथा १३८) २८३ प्रज्ञापना वृति |३११ वनस्पति सप्ततिका ५ २८४ नवतत्व की गाथा-६० ४ ३१२ प्राचीन गाथा २८५ विशेषणवती ३१३ प्राचीन गाथा . ५ ८३ २८६ प्राचीन गाथा | ३१४ पन्न वणा सूत्र ५ ६२ २८७ प्राचीन गाथा | ३१५ जीव विचार - ५ ६४ २८८ प्रज्ञापना सूत्र १८ वीं ४ | ३१६ सूय गडांग सूत्र की वृति ५ - १०६ में पद की वृति में द्वितीय स्कन्ध का तीसरा अध्ययन २८६ प्राचीन गाथा | ३१७ भगवती सूत्र शतक-७ ५ १११ २६० जीवाभिगम | उद्देश्य-३ २६१ संग्रहणी वृति | ३१८ चौथे उपांग में (पन्नवणा) ५ १३२ २६२ प्राचीन गाथा-दो ४११७-१८ | ३१६ बनस्पति सप्ततिका ५ १३४ २६३ प्रज्ञापना सूत्र ४ १३३ | ३२० पन्नवणा सूत्र ५ १३७ २६४ आचारांग वृति ४ १४७ | ३२१ पांचवा अंग (भगवती) ५ १३७ xcxc xxc ४ xxxx

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