________________ 22 कातन्त्ररूपमाला पररूपं तकारो लचटवर्गेषु // 74 // पदान्तस्तकारो लचटवर्गेषु परेषु पररूपमापद्यते / तल्लुनाति / तच्चरति / धुड् व्यञ्जनमनन्तस्थानुनासिकम् // 75 // अन्तस्थानुनासिकवर्जितं व्यञ्जनं धुसंज्ञं भवति। पदान्ते धुटां प्रथमः // 76 // पदान्ते वर्तमानानां धुटामन्तरतमः प्रथमो भवति // धुटां तृतीयश्चतुर्थेषु / / 77 // धुटां तृतीयो भवति, चतुर्थेषु परेषु / तच्छादयति / तज्जयति / तज्झषयति / तञकारेण / तट्टीकते / तट्ठकारेण / तड्डीनम् / तड्डौकते / तण्णकारेण // तत् शेते / तत् शयनम् / इति स्थिते / . चं शे॥७८॥ पदान्तस्तकारश्चकारमापद्यते शकारे परे // चं शे व्यर्थमिदं सूत्रं यदुक्ते शर्ववर्मणा। तस्योत्तरपदं ब्रूहि यदि वेत्सि कलापकम् / / 1 / / तत् + लुनाति, तत् + चरति, तत् + छादयति, तत् + जयति, तत् + झषयति, तत् +अकारेण; तत् + टीकते, तत् + ठकारेण, तत् + डीनम्, तत् + ढौकते, तत्+णकारेण। ल, चवर्ग और टवर्ग के आने पर पूर्व के तकार को पररूप हो जाता है // 74 // तल्लुनाति, तच्चरति, तछ्छादयति बना। द्वितीय और चतुर्थ अक्षर को प्रथम और तृतीय करने के लिये आगे सूत्र बताते हैं। अंतस्थ, अनुनासिक को छोड़कर बाकी व्यंजन धुट् संज्ञक हैं // 75 // पद के अंत में धुट् को प्रथम अक्षर हो जाता है // 76 // इस नियम से तछ+ छादयति में छ धट संज्ञक है उसको प्रथम अक्षर हो गया तो तच्छादयति बना। तज्जयति, तझ् + झषयति। चतुर्थ अक्षर के आने पर पदांत धुट् को तृतीय अक्षर हो जाता है // 77 // तज्झषयति बना। तञकारेण। तट्टीकते, तट् + ठकारेण ७६वें सूत्र से तट्ठकारेण, तडीनम्, तद + ढौकते / ७७वें सूत्र से तड्डौकते, तण्णकारेण ये पद सिद्ध हो गये। तत्+शेते, तत् + शयनम्। शकार के आने पर पदांत तकार को चकार हो जाता है // 78 // तशेते, तच शयनम् बन गये। श्लोकार्थ-कोई शिष्य प्रश्न करता है कि श्री शर्मवर्म आचार्य ने जो यह 'चं शे' सूत्र कहा है वह व्यर्थ है यदि आप कलाप व्याकरण जानते हैं तो इसका उत्तर दीजिये // 1 // १.श्लोकः-पररूपं हि कर्त्तव्यं व्यञ्जनं स्वरवर्जितम् // सस्वरं तु परं दृष्ट्वा विस्वरं क्रियते बुधैः /