________________ 146 कातन्त्ररूपमाला समीप: समूहः विकार: अवयव: स्व इति स्वाम्यादयः / देवदत्तस्य स्वामी। देवदत्तस्य वस्त्रं / पर्वतस्य समीपं / हंसानां समूहः / क्षीरस्य विकारः / देवदत्तस्य बाहू / यज्ञदत्तस्य शिरः / चैत्रस्य स्वं / स्वामीश्वराधिपतिदायादसाक्षिप्रतिभूप्रसूतैः षष्ठी च // 406 // स्वाम्यादिभियोंगे लिङ्गाषष्ठी सप्तमी च भवति / गवां स्वामी। गोषु स्वामी। गवामीश्वरः / गोष्वीश्वरः / गवामधिपति: / गोष्वधिपति: / गवां दायादः / गोषु दायादः / गवां साक्षी / गोषु साक्षी / गवां प्रतिभूः / गोषु प्रतिभूः / गवां प्रसूत: / गोषु प्रसूतः। निर्धारणे च // 407 // ‘निर्धारणे चार्थे लिङ्गाषष्ठी सप्तमी च भवति / जातिगुणक्रियाभि: समुदायस्य एकदेशपृथक्करणं निर्धारणं / पुरुषाणां क्षत्रियः शूरतम: / पुरुषेषु क्षत्रिय: शूरतमः / गवां कृष्णा गौ: सम्पन्नक्षीरा / गोषु कृष्णा गौ: सम्पन्नक्षीरा / गच्छतां धावन्त: शीघ्रा: / गच्छत्सु धावन्त: शीघ्राः / इत्यादि / षष्ठी हेतुप्रयोगे॥४०८॥ हेतोः प्रयोगे लिङ्गात्षष्ठी भवति / अध्ययनस्य हेतोर्वसति / अन्नस्य हेतोर्वसति। . . अवयव अर्थ में देवदत्तस्य बाहु–देवदत्त की दोनों भुजाएँ। अवयव अर्थ में यज्ञदत्तस्य शिर:-यज्ञदत्त का मस्तक / स्व अर्थ में विष्णुमित्रस्य स्वं—विष्णुमित्र का धन / स्वामी, ईश्वर, अधिपति, दायाद, साक्षी, प्रतिभू और प्रसूत अर्थ के योग में षष्ठी और सप्तमी दोनों होती हैं // 406 // गवां स्वामी, गोषु स्वामी-गायों का स्वामी। गवामीश्वरः, गोष्वीश्वर:-गायों का ईश्वर / गवां अधिपति, गोष्वधिपति:-गायों का अधिपति / गवां दायादः, गोषु दायाद:-गायों का भागीदार। गवां साक्षी, गोषु साक्षी–गायों का साक्षीदार / गवां प्रतिभूः, गोषु प्रतिभूः-गायों की जमानत वाला। गवां प्रसूत:, गोषु प्रसूत:-गायों का जन्मा बछड़ा। निर्धारण अर्थ में षष्ठी और सप्तमी होती है // 407 // निर्धारण किसे कहते हैं ? जाति, गुण, क्रियाओं से समुद्राय का एक देश पृथक् करना निर्धारण कहलाता है। जैसे पुरुषाणां क्षत्रिय: शूरतम:-पुरुषों में क्षत्रिय शूरवीर होता है। वैसे ही पुरुषेषु क्षत्रिय: शूरतमः / गवां कृष्णा गौ: संपन्नक्षीरा-गायों में काली गाय अधिक दूध वाली होती है। गोषु कृष्णा गौ: संपन्नक्षीरा—गायों में काली गाय अधिक दूध वाली होती है। गच्छतां धावन्त: शीघ्राः, गच्छत्सु धावन्त: शीघ्रा:-चलने वालों में दौड़ने वाले शीघ्रगामी हैं। इत्यादि। हेतु के प्रयोग में षष्ठी होती है // 408 // अध्ययनस्य हेतोर्वसति–अध्ययन के हेतु रहता है। अन्नस्य हेतोर्वसति-अन्न के हेतु रहता है।