Book Title: Katantra Vyakaran
Author(s): Gyanmati Mataji
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 419
________________ 384 कातन्त्ररूपमाला 323 पृष्ठ सूत्रक्रमांक सूत्र पृष्ठ सूत्रक्रमांक उभयाधुश्च 187 537 उतो वृद्धिव्यञ्जनादौ गुणिनि उभयेषामीकारो व्यञ्जनादावदः 229 157 सार्वधातुके 225. 132 उकारलोपो वमोर्वा 237 191 उकाराच्च 242 219 उतोयुरुणुस्तुक्षुहुव: 257 274 उषविद जागृभ्यो वा 274 335 उपसर्गात्सुनोतिसुवतिस्यतिस्तौतिस्तो उवर्णान्ताच्च 286 381 भतीनामडन्तरोपि 283 365 उवर्णस्य जान्तस्थापवर्गउरोष्ठ्योपधस्य च 289 397 परस्यावणे 288. 389 उपमानादाचारे 305 470 उदौद्भ्यां कृय: स्वरवत् 314 512 उपसर्या काल्याप्रजने 315 . 520 उवर्णादावश्यके 320 549 उपसर्गे चातो ङ 567 उषिधिनीणोश्च 325 578 उरोविहायसोरुरविहौ च 333 633 उणादया भूतेऽपि 352. 741 उपसर्गादसुदुर्थ्यां लभे प्राग् भात् उपसर्गाणां घञि बहुलम् 355 754 खल्घजोः 354 753 उपसर्गे दः कि: 3567 उदनुबन्धपूक्लिशां क्त्वि 360 784 ऊकारादि सूत्र ऊष्माण: शषसहा: 6 17 ऊचे दनवयसटौ च . 192 561 ऊणोंतेर्गुण: 225 133 ऋकारादि सूत्र ऋकारलकारौ च 4 5 ऋति ऋतोलोंपो वा 8 ऋवणे अर् 9 31 ऋणप्रवसनवत्सतरकम्बलदशानामृणेऽरो ऋते च तृतीयासमासे 35 दीर्घ: 10 34 ऋदन्तात्सपूर्वः 198 ऋषिभ्योऽण 169 ऋवर्णस्याकारः 234 177 ऋदन्तस्येरगुणे 239 199 ऋतोऽवृवृत्रः 259 282 ऋदन्तानां च 259 283 ऋवर्णस्याकारः 268 308 ऋदन्तानां च / 270 321 ऋच्छ ऋत: 275 341 ऋकारे च 276 343 ऋतश्च संयोगादेः 277 349 ऋधिज्ञ पोरीरीतौ 289 393 ऋदन्तस्येरगुणे 291 406 ऋत ईदन्तश्विचेक्रीयिऋमतो री: 295 429 तयिन्नायिषु 308 426 ऋतईदन्तश्च्विचेक्रीयितयिन्नायिषु 295 487 ऋतो लुत् 309 490 ऋदुपधाच्चाकृपितृतेः 317 530 ऋवर्णव्यञ्जनान्ताद् ध्यण 318 / 541 ऋत्विग्दधृक्स्रग्दिगुष्णिहश्च 339 668 ऋल्वादिभ्योऽपृणाते: क्तेः 363 . 803 0 0 481

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