________________ 186 कातन्त्ररूपमाला इदमो हः // 526 // इदम: सप्तम्यन्तात् हो भवति / त्रापवादः / अस्मिन् इह / . किमः // 527 / / किम: सप्तम्यन्तात् हो भवति / कस्मिन् कुह / क्व च // 528 // किम: सप्तम्यन्तात् अद् भवति क्वादेशश्च / कस्मिन् क्व। काले किंसर्वयदेकान्येभ्य एव दा // 529 // काले वर्तमानेभ्य: सप्तम्यन्तेभ्य एभ्यो दा भवति / कस्मिन् काले कंदा। एवं सर्वदा। यदा। एकदा / अन्यदा। काल इति किं ? सर्वत्र देशे। सदा इति निपात: / सर्वशब्दात्परो दाप्रत्ययो भवति / सर्वस्य सभावश्च / सर्वस्मिन्काले सदा। . इदमोयधुनादानीम्॥५३०॥ काले वर्तमानात्सप्तम्यन्तादिदम: परा हि अधुना दानीम् एते प्रत्यया भवन्ति / रथारेतेत्॥५३१॥ रथो: परत इदम् शब्द एत इत् इत्येतौ प्राप्नोति / अस्मिन् काले एतर्हि / इवर्णावर्णयोर्लोप: / अधुना। इदानीम् / इत्थम्। सप्तम्यंत इदं से 'ह' प्रत्यय होता है // 526 // यहाँ त्र प्रत्यय का अपवाद हो गया है। अस्मिन् = इह सप्तम्यंत किम् से 'ह' प्रत्यय होता है // 527 // कस्मिन् 'कुह' बन गया। सप्तम्यंत किं से परे 'अत्' प्रत्यय हो जाता है और किम् को 'क्व' आदेश हो जाता है // 528 // कस्मिन्, क्व+अ है ४७९वें सूत्र से क्व के 'अ' का लोप होकर प्रत्यय मिलकर 'क्व' बन गया। काल अर्थ में वर्तमान किं आदि सप्तम्यंत शब्दों से 'दा' प्रत्यय होता है // 529 // कस्मिन् काले किं को क आदेश होकर 'कदा' सर्वस्मिन् काले सर्वदा, यस्मिन् काले यदा, एकस्मिन् काले एकदा, अन्यस्मिन् काले अन्यदा। काल अर्थ में ऐसा क्यों कहा ? तो सर्वस्मिन् देशे इस अर्थ में दा प्रत्यय नहीं हुआ। सर्व शब्द से परे दा प्रत्यय होता है और सर्व को 'स' निपात हो जाता है।' सर्वस्मिन् काले 'सदा' बन गया। सप्तम्यंत इदं शब्द से काल अर्थ में र्हि अधुना और दानीम् प्रत्यय होता है // 530 // र और थ से परे इदम् को एत, इत् आदेश हो जाता है // 531 // अस्मिन् काले एतर्हि, इत् + अधुना “इवर्णावर्ण:” 479 वें सूत्र से इकार का लोप होकर 'अधुना' बना। १.यह वृत्ति में है।