________________ 196 कातन्त्ररूपमाला स्तनी॥ 5 // दि तां अन, सि तं त, अम् व म, त आतां अन्त, थास् आथां ध्वं, इट वहि महि-इमानि वचनानि ह्यस्तनीसंज्ञानि भवन्ति // एवमेवाद्यतनी॥ 6 // एतान्येवाद्यतनेऽर्थेऽभिधेयेऽद्यतनीसंज्ञानि भवन्ति / परोक्षा // 7 // अट् अतुस् उस्, थल् अथुस् अ अट् व म, ए आते इरे, से आथे ध्वे, ए वहे महे-इमानि वचनानि परोक्षसंज्ञानि भवन्ति // श्वस्तनी॥८॥ ता तारौ तारस्, तासि तास्थस् तास्थ, तास्मि तास्वस् तास्मस्, ता तारौ तारस्, तासे तासाथे ताध्वे, ताहे तास्वहे तास्महे-इमानि वचनानि श्वस्तनीसंज्ञानि भवन्ति / / आशीः // 9 // यात् यास्तां यासुस्, यास् यास्तं यास्त, यासं यास्व यास्म, सीष्ट सीयास्तां सीरन्, सीष्ठास् सीयास्थां सीध्वं, सीय सीवहि सीमहि—इमानि वचनानि आशी:संज्ञानि भवन्ति / स्यसहितानि त्यादीनि भविष्यन्ती॥ 10 // स्यति स्यतस् स्यन्ति, स्यसि स्यथस् स्यथ, स्यामि स्यावस् स्यामस्, स्यते स्येते स्यन्ते, स्यसे स्येथे स्यध्वे, स्ये स्यावहे स्यामहे-स्येन सहितानि त्यादीनि वचनानि भविष्यन्तीसंज्ञानि भवन्ति // बीते हुए कल दिन के लिये 'ह्यस्तनी' विभक्ति होती है // 5 // दि तां अन्, सि तं त, अम् व म। त आतां अन्त, थास् आथां ध्वं, इट् वहि महि / ये अठारह वचन शस्तनी संज्ञक हैं / (इसे लङ् भी कहते हैं।) ___ आज के बीते हुये काल को 'अद्यतनी' कहते हैं // 6 // ये ही उपर्युक्त अठारह विभक्तियाँ अद्यतन के अर्थ में आकर अद्यतनी संज्ञक कहलाती हैं / (इसे 'लुङ्' कहते हैं) - अंत्यर्थ भूतकाल में 'परोक्षा' विभक्ति होती है // 7 // अट् अतुस् उस्, थल् अथुस् अ, अट् व म। ए आते इरे, से आथे ध्वे, ए वहे महे / ये अठारह वचन परोक्षा संज्ञक होते हैं / (इसे 'लिट्' कहते हैं।) - आने वाले कल के लिये 'श्वस्तनी' विभक्ति होती है // 8 // ता तारौ तारस्, तासि तास्थस् तास्थ, तास्मि तास्वस् ताम्मस् / ता तारौ तारस, तासे तासाथे ताध्वे, ताहे तास्वहे तास्महे / ये अठारह वचन श्वस्तनी संज्ञक होते हैं / (यह 'लुट' है) आशीर्वचन में 'आशी:' विभक्ति होती है // 9 // यात् यास्तां, यासुस्, यास् यास्तं, यास्त, यासम् यास्व यास्म। सीष्ट सीयास्तां सीरन्, सीष्ठास् सीयास्थां, सीध्वं, सीय सीवहि सीमहि / ये अठारह वचन आशी: संज्ञक हैं / (यह आशी: 'लिंङ्' है) भविष्यत् अर्थ में 'स्य' सहित ति आदि विभक्तियाँ भविष्यन्ती कहलाती हैं // 10 // 1. अत्यर्थभूत काल उसे कहते हैं जो क्रिया अपने जीवन में न बीती हो केवल सुनी जाती हो जैसे भ० शान्तिनाथ हुए थे।