________________ 242 कातन्त्ररूपमाला अथ तनादिगणः तनु विस्तारे। तनादेरुः // 206 // तनादेर्गणाद्विकरणसंज्ञक उर्भवति कर्तरि विहिते सार्वधातुके परे / तनोति तनुत: तन्वन्ति / मनुङ् अवबोधने / मनुते मन्वाते मन्वते / मनुषे मन्वाथे मनुध्वे / मन्वे मनुवहे मन्वहे मनुमहे मन्महे / डुकृञ् करणे / करोति। करोतेः // 207 // करोतेरकारस्य उकारो भवति अगुणे सार्वधातुके परे / कुरुत: कुर्वन्ति / करोषि कुरुथ: कुरुथ / करोमि। अस्याकारः सार्वधातुके गुणे॥ - करोतेनित्यम् // 208 // करोते परस्य उकारस्य नित्यं लोपो भवति वमो: परत: कुर्व: कुर्मः / कुरुते कुर्वाते कुर्वते / भावकर्मणोश्च / तन्यते मन्यते। ये च // 209 // करोते परस्य उकारस्य नित्यं लोपो भवति ये च परे / कुर्यात् कुर्वीत / तनोतु तनुतात् तनुतां तन्वन्तु / उकाराच्च // 210 // अथ तनादि गण प्रारम्भ होता है। तनु धातु विस्तार अर्थ में है / तन् ति है। कर्ता से सार्वधातुक में तनादि गण से विकरण संज्ञक 'उ' होता है // 206 // तनोति तनुत: तन्वन्ति / मनुङ् धातु मानने अर्थ में है। मनुते मन्वाते मन्वते / तनोमि तनुव: 'उकारलोपो वर्गोवा' सूत्र 191 से व, म के आने पर उकार का लोप विकल्प से होता है। तन्व: तन्मः / मनुवहे मन्वहे मनुमहे मन्महे। . डुकृञ् धातु करने अर्थ में है। 'करोति' बना है। 'नाम्यंतयोर्धातु विकरणयोर्गुणः' सूत्र से सर्वत्र गुण हुआ। अगुण सार्वधातुक के आने पर करोति के अकार को उकार हो जाता है // 207 / / कुरुत: कुर्वन्ति / कुरु वस्। व, म के आने पर करोति के उकार का नित्य ही लोप हो जाता है // 208 // कुर्व: कुर्मः / कुरुते कुर्वाते कुर्वते / भावकर्म में तन्यते, मन्यते / कुरु यात् / 'य' विभक्ति के आने पर कुरु के उकार का नियम से लोप हो जाता है // 209 // कुर्यात् / कुरु ईत = कुर्वीत / तनोतु तनुतात्। उकार विकरण से 'हि' का लोप हो जाता है // 210 //