________________ 338 कातन्त्ररूपमाला ध्याप्योः // 658 // ध्याप्योः सम्प्रसारणं दीर्घमापद्यते क्वौ परे / आधीः / व्याधी: / आपी: / वचनात्सम्प्रसारणं सिद्धम् / पञ्चमोपधाया धुटि चागुणे // 659 // पञ्चमान्तस्थोपधाया: क्वौ धुटि चागुणे प्रत्यये परे दीर्घा भवति / मो नो धातोः // 660 // धातोर्मकारस्य नकारो भवति धुट्यन्ते च / प्रशान् / प्रतान् / च्छ्वोः शूठौ पञ्चमे च // 661 // छकारवकारयोः शू ऊठि-त्येतौ भवत: क्वो धुट्यगुणे पञ्चमे च / लिश विछ गतौ / विछ गोविट् प्रच्छ जीप्सायां / पथिप्राट् / क्वचिद् ह्रस्वस्य दीर्घता। दिव् अक्षः / षिव् स्यूः। प्रच्छ प्रष्टः पृष्ट्वा / दिव् द्यूत: द्यूत्वा / विच्छ विश्न: / छस्य द्वि: पाठे निमित्ताभावे नैमित्तिकस्याप्यभावः / श्रिव्यविमविह्वरित्वरामुपधयो॥६६२॥ एषामुपधया सह वकारस्य ऊठ् भवति क्वौ धुट्यगुणे पञ्चमे च / श्रिवु गतिशोषणयोः / श्रूः / अव ' रक्ष पालने / अव् ऊः / मव्य बन्धने मू: / ज्वर रोगे जू: / त्वर तूः। राल्लोप्यौ॥६६३॥ क्विप् के आने पर ध्या, प्या का संप्रसारण दीर्घ हो जाता है // 658 // .. आ ध्या-धी= आधी:, आपी: इस सूत्र से संप्रसारण सिद्ध है। पंचमान्तस्थ की उपधा को क्विप् और धुट् अगुण विभक्ति के आने पर दीर्घ हो जाता है // 659 // प्रशाम्यति इति प्रशम्-प्रशाम् बना। क्विप् प्रत्यय का सर्वापहारी लोप हो गया पुन: धुट् अन्त के आने पर धातु के मकार का नकार हो जाता है // 660 // प्रशान् प्रतान् / प्रताम्यतीति प्रतान्। क्विप् और धुट् अगुण पंचम अक्षर के आने पर छकार वकार को शू और व को इल् आदेश होता है // 661 // ... लिश, विछ—गमन करना। गोविट शानुबंध से सार्वधातुकवत् कार्य होता है। अत: प्रच्छ से—पन्थानं पृच्छति इति पथिप्राट् क्वचित् कहीं पर "ह्रस्वस्य दीर्घता" 470 सूत्र से दीर्घ हो गया है। दिव के व् को ऊठ् होकर अक्षैर्दीव्यति अक्षयू: षिव्-स्यू: / प्रच्छ से प्रष्टः पृष्ट्वा, दिव्-द्यूत: द्यूत्वा / विच्छ—विश्न: छ का द्वित्व पाठ है किंतु निमित्त के अभाव में नैमित्तिक का भी अभाव हो जाता है। क्विप् और धुट् अगुण पंचम प्रत्यय के आने पर श्रिव् अव् / मव् ज्वर त्वर के उपधा सहित वकार को ऊट हो जाता है // 662 // श्रिवु-गति और शोषण, श्रिव् की इ और व को ऊठ् होकर श्रू बना लिंग संज्ञा होकर सि विभक्ति में 'श्रूः' बना। अव् से 'ऊ:' म से मू: ज्वर् से जू: त्वर से तू: बना। रेफ से परे धुट अगुण पञ्चम और क्लिप के आने पर छकार वकार का लोप हो जाता है // 663 //