________________ विसर्जनीयसंधि 27 विसर्जनीयश्च छ वा शम्॥९५॥ चे वा छे वा परे विसर्जनीय: शमापद्यते / कश्चरति / कश्छादयति / इति सिद्धम् / / क: टीकते / क: ठकारेण / इति स्थिते। टे ठे वा षम्॥९६ // 'टे वा ठे वा परे विसर्जनीय: षकारमापद्यते / कष्टीकते / कष्ठकारेण // क: तरति / क: थुडति / इति स्थिते। ते थे वा सम्॥९७॥ ते वा थे वा परे विसर्जनीय: समापद्यते / कस्तरति / कस्थुडति // क: करोति / क: खनति / इति दिः स्थिते। कखयोर्जिह्वामूलीयं न वा // 98 // कखयो: परयोर्विसर्जनीयो जिह्वामूलीयमापद्यते न वा। जिह्वामूलीयोपध्मानीयौ च // 99 // __ जिह्वामूलीयमुपध्मानीयं च परं वर्णं नयेत् / क करोति, कः करोति / क खनैति, क: खनति // क: पचति / कः फलति / इति स्थिते। पफयोरुपध्मानीयं न वा // 100 // पफयो: परयोर्विसर्जनीय उपध्मानीयमापद्यते न वा / के पचति, क: पचति / के फलति, क: फलति // क: च्शावित्याचष्टे / क: पावित्याचष्टे / पुरुष: त्सरुकः / यत: क्षम: / तत: प्साति / इति स्थिते / न शादीन् शषसस्थे॥१०१॥ च अथवा छ के परे पदांत विसर्ग को 'श्' हो जाता है // 95 // कश्चरति, क: + छादयति = कश्छादयति / क: टीकते, क: + ठकारेण। ___ट अथवा ठ के रहते पदांत विसर्ग को षकार होता है // 96 // कष्टीकते, कष्ठकारेण। ... त अथवा थ के आने पर पदांत विसर्ग 'स्' हो जाता है // 97 // क:+तरति = कस्तरति, कस्थुडति / क:+खनति / / क और ख के परे रहने पर पदांत विसर्ग विकल्प से जिह्वामूलीय बन जाता है // 98 // जिह्वामूलीय और उपध्मानीय पर वर्ण को प्राप्त हो जाते हैं // 19 // क:+करोति = क करोति, क: करोति / क: + खनति = क खनति, क: खनति / ऊपरवज्राकार चिह्न जिह्वामूलीय है। क: पचति, क: फलति / ___प और फ के आने पर पदांत विसर्ग विकल्प से उपध्मानीय हो जाता है // 100 // ____ 'क: + पचति = के पचति, क: पचति। क: + फलति =के फलति क:+शोवित्याचष्टे, क: +पावित्याचष्टे, पुरुष: +त्सरुकः, तत: +प्साति। यदि आगे च, 8 त, प ये वर्ण श, ष, स में स्थित हैं—मिले हुए हैं तो विसर्ग को श ष स नहीं होता है // 101 //