________________ m कातन्त्ररूपमाला का क्रोष्टुः ऋत उत्सम्बुद्धौ शसि व्यञ्जने नपुंसके च // 201 // क्रोष्टशब्दस्य ऋत उर्भवति। सम्बुद्धौ शसि व्यञ्जने नपुंसके च परे / अग्निसंज्ञां विधाय भानुवत्कुर्यात् / हे क्रोष्टा / हे क्रोष्टारौ / हे क्रोष्टारः / क्रोष्टारम् / क्रोष्टारौ / क्रोष्टून् / ____टादौ स्वरे वा // 202 // क्रोष्टशब्दस्य ऋत उर्वा भवति टादौ स्वरे परे / क्रोष्ट्रा, क्रोष्टुना। क्रोष्टुभ्याम् / क्रोष्टुभिः / क्रोष्टे, क्रोष्ट्वे / क्रोष्टुभ्याम्। क्रोष्टुभ्यः। क्रोष्ट, क्रोष्टोः। क्रोष्टुभ्याम् / क्रोष्टुभ्यः। क्रोष्ट, क्रोष्टोः / क्रोष्ट्रोः / क्रोष्ट्वोः / क्रोटणाम, क्रोष्टूनाम् / क्रोष्टरि, क्रोष्टौ / क्रोष्ट्रो, क्रोष्ट्वोः / क्रोष्टुषु / स्वसृशब्दस्य तु भेदः / . सौ-स्वसा। घुटि। स्वस्रादीनां च // 20 // जैसेकर्ता कर्तारौ कर्तारः / करें कर्तृभ्याम ... कर्तृभ्यः हे कर्तः ! हे कर्तारौ ! हे कर्तारः ! | कर्तुः / कर्तृभ्याम् कर्तृभ्यः / कर्तारम् कर्तारौ कर्तन कर्तुः कत्रों कर्तणाम कर्तृभ्याम् कर्तृभिः कतरि कों: कर्तृषु क्रोष्ट्र (शृगाल) शब्द में कुछ भेद है। क्रोष्ट + सि-कर्तृवत् क्रोष्टा क्रोष्टारौ क्रोष्टारः संबोधन में क्रोष्ट + सि क्रोष्ट शब्द के ऋकार को संबुद्धि संज्ञकसि, शस् व्यंजन वाली विभक्ति एवं नपुंसकलिंग के आने पर उकार हो जाता है // 201 // जब 'उ' हो जाता है तब अग्नि संज्ञा करके भान के समान रूप चलाना अत: क्रोष्ट+सि=हे क्रोष्टो ! क्रोष्ट + शस् उकार होकर क्रोष्टु+शस् अ को उ एवं स् को न होकर क्रोष्टून् बना। क्रोष्ट+टा __टा आदि स्वर वाली विभक्ति के आने पर क्रोष्ट शब्द के ऋ को उ विकल्प से होता है // 202 // 'रमृवर्ण:' से संधि होकर क्रोष्ट्रा बना ऋ को उ होकर अग्नि संज्ञा में क्रोष्टुना बना। यह सर्वत्र ध्यान रखना कि 'उ' होने के बाद अग्नि संज्ञा होकर भानुवत् रूप बनते हैं। अन्यथा पितृवत् बनते हैं / व्यंजन वाली विभक्ति में भी क्रोष्टु + भ्याम् = क्रोष्टुभ्याम् बना। देखिएक्रोष्टा क्रोष्टारौ क्रोष्टारः / क्रोष्टे, क्रोष्ट्वे क्रोष्टुभ्याम् क्रोष्टुभ्यः हे क्रोष्टो ! हे क्रोष्टारौ ! हे क्रोष्टारः !| क्रोष्टः, क्रोष्टोः क्रोष्टुभ्याम् क्रोष्टुभ्यः क्रोष्टारम् क्रोष्टारौ क्रोष्ट्न् / क्रोष्टः, क्रोष्टोः क्रोष्ट्रोः, क्रोष्ट्वोः क्रोष्ट्रणाम, क्रोष्ट्रनाम् क्रोष्ट्रा, क्रोष्टुना क्रोष्टुभ्याम् __क्रोष्टुभिः / क्रोष्टरि, क्रोष्टौ क्रोष्ट्रोः क्रोष्ट्वोः क्रोष्टषु स्वस शब्द में कुछ भेद हैस्वस+सि= 'आसौ सिर्लोपश्च' सूत्र से ऋ को आ और सि का लोप होकर स्वसा बना। स्वसृ+ औघुट् स्वर के आने पर स्वसृ आदि शब्दों के ऋ को आर हो जाता है // 203 //