________________ 24 कातन्त्ररूपमाला टठयोः षकारम् // 82 // पदान्तो नकार: टठयोः परयो: षकारमापद्यते अनुस्वारपूर्वम् / भवांष्टीकते / भवांष्ठकारेण // भवान् तरति / भवान् थुडति / इति स्थिते / . तथयोः सकारम् // 83 // पदान्तो नकारस्तथयो: परयो: सकारमापद्यतेऽनुस्वारपूर्वम् / भवांस्तरति / भवांस्थुडति / नृन् पाहि। इति स्थिते। नृनः पे वा॥८४॥ नृन्शब्दस्य पदान्तो नकारोऽनुस्वारपूर्वं सकारं वाऽऽपद्यते पकारे परे / नृस्पाहि / नृन्पाहि // प्रशानः शादीन्॥८५॥ प्रशानो नकार: शादीन प्राप्नोति / प्रशान् चरति / प्रशान्छादयति। प्रशान्टीकते / प्रशान्ठकारेण / प्रशान् तरति / प्रशान् थुडति // भवान् लुनाति / भवान् लिखति / इति स्थिते / . ले लम्॥८६॥ पदान्तो नकारो लकारमापद्यते लकारे परे। अनुस्वारहीनम् // 7 // अधिकारस्येष्टत्वात् शकारादीनां हीनत्वादनुस्वारो नास्ति / भवाल्लुनाति / भवाल्लिखति // भवान् जयति / भवान् झषयति / भवान् बकारेण / भवान् शेते / इति स्थिते। ट् ठ के आने पर षकार हो जाता है // 82 // पद के अंत का नकार अनुस्वारपूर्वक षकार हो जाता है ट ठ के परे होने पर / भवांष्टीकते, भवांष्ठकारेण। भवान् + तरति, भवान् + थुडति / त थ के परे सकार हो जाता है // 83 // पदांत नकार अनुस्वारपूर्वक सकार हो जाता है त, थ के आने पर / भवांस्तरति, भवांस्थुडति / नृन् + पाहि नृन् शब्द का पदांत नकार अनुस्वारपूर्वक सकार विकल्प से होता है। पकार के आने पर // 84 // नॅस्पाहि, नृन्पाहि / प्रशान् + चरति इत्यादि। प्रशान् का नकार च, छ, ट आदि के आने पर श, ष आदि नहीं बनता है // 85 // प्रशान् चरति, प्रशान् छादयति, प्रशान्टीकते, प्रशान्ठकारेण, प्रशान्तरति, प्रशान् थुडति / भवान् + लुनाति, भवान् +लिखति / लकार के आने पर पदांत नकार 'ल' हो जाता है // 86 // और यह लकार अनुस्वार ही होता है॥८७॥ यद्यपि यहाँ अनुस्वार का अधिकार इष्ट है-चला आ रहा है फिर भी यहाँ नकार, श, ष, स को नहीं प्राप्त करता है अत: अनुस्वार भी नहीं होता है। इसीलिए सूत्र पृथक् बनाया है। भवाल्लुनाति, भवाल्लिखति। भवान् + जयति, भवान् + झषयति, भवान् + अकारेण, भवान् + शेते।