Book Title: Kasaypahudam Part 12
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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११९
११०
१४१
( ४७ ) पृ. सं.
पृ. सं. उपयोगवर्गणाओंके दो भेदोंका निर्देश
१०९ उक्त दोनों उपदेशोंके अनुसार बसोंमें कषाकषायोदयस्थानोंका लक्षण
१०९
योदयस्थानोंका निर्देश उपयोगाद्धास्थानोंका लक्षण उक्त दोनों स्थान उपयोगवर्गणा कहलाते हैं
कषायोदयस्थानोंमें यवमध्यकी अपेक्षा जीवों इसका निर्देश
का विचार
१२१ उपयोगाद्धास्थानोंसे रहित और सहित स्थानों उक्त गाथाके दूसरे अर्थको प्ररूपणा ......... का विचार
११० उक्त विषयमें तीन श्रेणियोंकी अपेक्षा प्रकृतमें प्रवाहमान और अप्रवाहमान उप
विचार देशका निर्देश उक्त अर्थपदके अनुसार यवमध्यके विषयमें
प्रकृतमें विशेषाधिकको जाननेके लिए दो ६ अनुयोगद्वारोंका निरूपण
११७ उपदेशोंकी सूचना
चतुः स्थान अर्धाधिकार मंगलाचरण
१४९ उत्तरोत्तर अन्तिम सन्धिसे अग्रिम सन्धिमें चतुःस्थान अर्थाधिकारमें सर्व प्रथम गाथा
अनुभाग और प्रदेशोंकी अपेक्षा अल्पसूत्रोंके जाननेकी सूचना
१५० बहुत्वका विचार क्रोधादि प्रत्येक कषायके चार-चार भेदोंकी
दास समान मानमें देशावरण और सर्वा१५१. वरणका विचार
१६४ यहाँ अनन्तानुबन्धी आदिकी अपेक्षा वे चार
उक्त सब क्रम चारों कषायोंके चारों स्थानोंचार भेद नहीं लिये गये हैं इस विषय
में जाननेकी सूचना का खुलासा
उक्त स्थानों में से किस गतिमें कौन स्थान क्रोध और मान कषायके शक्तिकी अपेक्षा
बद्ध, बध्यमान, उपशान्त और उदीर्ण __ चार-चार भेदोंका स्पष्टीकरण
है इसका विचार मायाके शक्तिको अपेक्षा चार भेदोंका
संज्ञी आदि मार्गणाओंमें उक्त विषयका स्पष्टीकरण
विचार लोभके शक्तिको अपेक्षा चार भेदोंका
किस स्थानका वेदन करनेवाला किस स्थान स्पष्टीकरण
को बांधता है आदिका विचार उक्त १६ स्थानोंमें स्थिति, अनुभाग और प्रदेशोंकी अपेक्षा अल्पबहुत्वका
असंज्ञी किन स्थानोंका व संज्ञी जीव किन विचार
स्थानोंका बन्ध करता है इत्यादिका लताके समान मानमें वर्गणाओंके अल्प
विचार बहुत्वका निर्देश
चतुःस्थान पदको निक्षेपयोजना
१७२ लताके समान मानसे प्रदेशोंकी अपेक्षा दारु
एकैक निक्षेप पहले कह और कर आये हैं आदिके समान मान उत्तरोत्तर अनन्त
इसकी सूचना
१७३ गुण हीन होनेका विधान ६. स्थाननिक्षेपकी विशेष प्ररूपणा
१७३ लताके समान अनुभाग समूह और वर्गणा
नैगमनयके सब निक्षेपोंको स्वीकार करनेकी समूहकी अपेक्षा दारु आदिके समान
सूचना
१७५ मान अधिक होनेका निर्देश
संग्रह और व्यवहारनयकी अपेक्षा विचार
१७५
सूचना
१६७