Book Title: Kasaypahudam Part 12
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 303
________________ २५२ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [सम्मत्ताणियोगदारं १० $१०६. एवमधापवत्तकरणविसोहीणमप्पाबहुअमुहेण परूवणं कादूण संपहि पयदत्थमुवसंहरेमाणो सुत्तमिदमाह * एदमधापवत्तकरणस्स लक्खणं । $१०७. एदमणंतरपरूविदमणुकट्टिलक्खणमधापवत्तकरणस्स लक्खणं दट्ठन्वमिदि भणिदं होदि । एवमेदमुवसंहरिय संपहि अपुव्वकरणलक्खणपरूवणमिदमाह * अपुवकरणस्स पढमसमए जहणिया विसोही थोवा। $१०८. एत्थ ताव अपुव्वकरणद्धमंतोमुहुत्तपमाणं समयभावेण द्वविय तत्थ परिणामाणमवट्ठाणकम सुत्तसूचिदं वत्तइस्सामो। तं जहा-तत्थ तिण्णि अणिओगदाराणि-परूवणा पमाणमप्पाबहुअं च । तत्थ परूवणदाए अत्थि अपुवकरणपढमसमए परिणामट्ठाणाणि । एवं णेदव्वं जाव चरिमसमओ ति । परूवणा गया । पमाणं-एकक्कम्मि समए परिणामट्ठाणाणि असंखेजा लोगा । पमाणं गदं । $ १०९. अप्पाबहुअं दुविहं–विसोहीणं तिव्व-मंदप्पाबहुअं परिणामपंति१. यहाँ १ से लेकर १६ तककी संख्या अधःप्रवृत्तकरणके समयोंकी सूचक है। २. ब्रेकेट के भीतरकी संख्या निर्वर्गणाकाण्डकोंकी सूचक है। प्रत्येक निर्वर्गणाकाण्डक ४-४ समयोंका है। . ३. १, ४० आदि संख्या उस उस समयके उस उस संख्याक परिणामकी सूचक है। ४. यहाँ जघन्यसे जघन्य, जघन्यसे उत्कृष्ट, उत्कृष्टसे जघन्य और उत्कृष्टसे उत्कृष्ट ___ प्रत्येक स्थान अनन्तगुणी विशुद्धिको लिये हुए है। ६१०६. इस प्रकार अधःप्रवृत्तकरणसम्बन्धी विशुद्धियोंके अल्पबहुत्वद्वारा कथन करके अब प्रकृत अर्थका उपसंहार करते हुए इस सूत्रको कहते हैं * यह अधःप्रवृत्तकरणका लक्षण है। $ १०७. यह अनन्तर पूर्व कहा गया अनुकृष्टिका लक्षण अधःप्रवृत्तकरणका लक्षण जानना चाहिए यह उक्त कथनका तात्पर्य है। इस प्रकार इसका उपसंहार कर अब अपूर्वकरणके लक्षणका कथन करनेके लिए इस सूत्रको कहते हैं * अपूर्वकरणके प्रथम समयमें जघन्य विशुद्धि सबसे स्तोक है । $ १०८. यहाँ पर सर्वप्रथम अपूर्वकरणके अन्तर्मुहूर्तप्रमाण कालको समयरूपसे स्थापित कर वहाँ परिणामोंके सूत्र द्वारा सूचित हुए अवस्थानक्रमको बतलावेंगे। यथाप्रकृतमें तीन अनुयोगद्वार हैं-प्ररूपणा, प्रमाण और अल्पबहुत्व । उनमेंसे सर्वप्रथम प्ररुपणा अनयोगद्वारको बतलाते हैं-अपर्वकरणके प्रथम समयमें परिणामस्थान है। इसी प्रकार अन्तिम समय तक कथन करते हुए ले जाना चाहिए । प्ररूपणा अनुयोगद्वार समाप्त हुआ। प्रमाण-एक-एक समयमें परिणामस्थान असंख्यात लोकप्रमाण हैं। प्रमाण अनुयोद्वार समाप्त हुआ। $ १०९. अल्पबहुत्व दो प्रकार है-विशुद्धियोंकी तीव्रता-मन्दतासम्बन्धी अल्पबहुत्व

Loading...

Page Navigation
1 ... 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404