Book Title: Kasaypahudam Part 12
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गाथा ६३ ]
पढमगाहासुत्तस्स अत्थपरूवणा
$ ३९. एत्थ गुणगारपमाणं सुगमं ।
* देवगदीए जहणिया मायद्धा विसेसाहिया ।
$ ४०. केत्तियमेत्तो विसेसो १ आवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तो ।
* मणुस - तिरिक्खजोणियाणं जहण्णिया माणद्धा संखेज्जगुणा । S ४१. मणुस - तिरिक्खजोणियाणं जहण्णिया माणोवजोगवा उहयत्थ सरिसी होदूण पुचिल्लादो संखेजगुणा त्ति वृत्तं होइ । एत्थ गुणगारो तप्पा ओग्गसंखेजरूवमेत्तो ।
* मणुस - तिरिक्खजोणियाणं जहणिया कोधद्धा विसेसाहिया । * मणुस - तिरिक्खजोणियाणं जहण्णिया मायद्वा विसेसाहिया । * मणुस-तिरिक्खजोणियाणं जहण्णिया लोहद्वा विसेसाहिया । ४२. दाणि सुत्ताणि सुगमाणि, ओघम्मि परूविदकारणत्तादो ।
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* णिरयगदीए जहण्णिया कोधद्धा संखेज्जगुणा ।
$ ४३. किं कारणं १ सुट्टु जहण्णस्स वि णेरइयाणं कोहोवजोगकालस्स मणुस
$ ३९. यहाँ पर गुणकारके प्रमाणका कथन सुगम है ।
* उससे देवगति में मायाका जघन्य काल विशेष अधिक है ।
$ ४०. शंका - विशेषका प्रमाण कितना है ?
समाधान - - आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण है ।
* उससे मनुष्यों और तिर्यञ्चयोनि जीवों में मानका जघन्य काल संख्यातगुणा है।
$ ४१. मनुष्यों और तिर्यञ्चयोनि जीवोंमें मानका जघन्य उपयोग काल दोनों में समान होकर भी पूर्व में कहे गये कालसे संख्यातगुणा है यह उक्त कथनका तात्पर्य है । यहाँ पर गुणकार तत्प्रायोग्य संख्यात अंक है ।
* उससे मनुष्यों और तिर्यञ्चयोनि जीवोंमें क्रोधका जघन्य काल विशेष अधिक है।
* उससे मनुष्यों और तिर्यञ्चयोनि जीवोंमें मायाका जघन्य काल विशेष अधिक है ।
* उससे मनुष्यों और तिर्यञ्चयोनि जीवोंमें लोभका जघन्य काल विशेष अधिक है ।
$ ४२. ये सूत्र सुगम हैं, क्योंकि कारणका कथन ओघप्ररूपणाके समय कर आये हैं । * उससे नरकगतिमें क्रोधका जघन्य काल संख्यातगुणा है ।
$ ४३ . क्योंकि नारकियोंमें क्रोधका सबसे जघन्य भी उपयोग काल मनुष्यों और