Book Title: Jainagama viruddha Murtipooja
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री रतनलाल दोशीनुं बहोलुं वांचन, घणो अभ्यास वगेरे जोतां आ पुस्तकनी भूमिका लखवा माटे कोई वधु समर्थ वधु विद्वान् अने शास्त्रज्ञने आ काम सोंपवु जोइतुं हतुं परन्तु तेमनी इच्छा म्हारी पासेथी आसेवा लेवानी थई, अने तेना माटे तेमनो आग्रह थयो, एटले आयत्किंचित सेवा समाज चरणे धरुंछु अने ते पण म्हारा हमेशना सहायक विनयमूर्ति मुनिवर्य श्री लक्ष्मीचन्द्रजी महाराजनी परम सहाय थीज ।
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म्हारी फरी फरी सर्व कोईने भलामण - विनंति छे के जेओ थोड़े अंशे पण हिंदी भाषा वांची समजी - शकता होय तेमणे आ पुस्तक जरूर वांचवुं । श्री रतनलाल दोशीना आवा शुभ प्रयत्नमां वधु सफलता मले तेवुं इच्छी आ भूमिका लखवामां जे कांई जिनाज्ञा विरुद्ध लखायुं होय ते सर्व ने माटे श्री अरिहंत, श्री गुरुदेव, श्री संघनी अने आत्मानी साक्षीए मिथ्यामे दुष्कृतम् ।
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विहार स्थल जामनगर बेडी बंदर
श्री दिग्विजयसिंहजी सोल्ट वर्कस
(स्थानकवासी जैन, लिंबडी संप्रदाय)
वि० संवत् १९६८ वीर सं० २४६८ ना प्रथम जेठ वद १३ गुरुवार
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लि० सदानंदी जैन मुनि छोटालालजी
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