Book Title: Jainagama viruddha Murtipooja
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
[42]
पृष्ठ
.
ज
म
०
२४४
प्रकरण विषय ३०. भक्ति या अपमान ३१. साधुमार्गी जैन मूर्ति पूजक नहीं हैं ३२. विकृति का सहारा ३३. मूर्तियों की प्राचीनता से धर्म का सम्बन्ध
मूर्ति निर्माण का कारण मूर्तियों के सभी लेख सच्चे नहीं हैं प्राचीन होने मात्र से उपादेय नहीं
आगमों के सामने इसका कोई मूल्य नहीं ३४. क्या जैन साधु ऐसा उपदेश दे सकते हैं? ३५. चैत्य शब्द के अर्थ ३६. बत्तीस सूत्रों के नाम से गप्प ३७. क्या टीका आदि भी मूल की तरह माननीय है? ३८. मूर्ति पूजा विषयक ग्रन्थों की अप्रामाणिकता ३६. मूर्ति पूजा विरुद्ध प्रमाण संग्रह
जैनागम. विरुद्ध मूर्ति पूजा न तीन में न तेरह में मूर्ति पूजक मान्य प्रमाणों से मूर्ति पूजा का विरोध
अजैन विद्वान् और मूर्ति पूजा ४०. उपसंहार का संहार ४१. निष्कर्ष ४२. परिशिष्ट ४३. उपयोगी पद्य
२६४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org