Book Title: Jainagama viruddha Murtipooja
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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चैत्य शब्द के अर्थ
कहिये मित्र ? आप ही की ओर से उक्त प्रमाण से आप लोगों के किये हुए उक्त मन्दिर, मूर्ति अर्थ असत्य - मनः : कल्पित सिद्ध हुए या नहीं।
मित्रवर ? चैत्य शब्द अनेकार्थवाची है, आगमकारों और ग्रन्थकारों ने इस शब्द के प्रकरणानुकूल भिन्न-भिन्न अर्थ किये हैं, जो हम ऊपर दिखा चुके हैं, फिर आपका भी निम्न हठ पूर्ण वाक्य किस गिनती में ठहरता है कि -
है।"
" चैत्य का अर्थ मन्दिर, मूर्ति स्तूप और पादुका ही होता ( पृ० १०१ ) इस हठ युक्त असत्य लेख के कारण हम आपको पूर्वोक्त प्रमाणों से यदि हठी कहें तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे?
तब
जबकि हमारी ओर से प्रकरणनुकूल अर्थ किये जाते हैं, सुन्दर मित्र हमें भी दो ही अर्थ (ज्ञान और साधु) मानने वाले कहकर हमारी निंदा करते हैं, किन्तु यह इनकी केवल द्वेष परायणता ही है, क्योंकि हमारी ओर से यह आग्रह कभी नहीं रहा कि चैत्य शब्द के केवल दो ही अर्थ होते हैं। हम तो यही कहते हैं कि इस शब्द के प्रकरणानुकूल कई अर्थ होते हैं। जब हम इस शब्द के अनेक अर्थ मानते हैं तब आप हमारे सामने अन्य अर्थ रखें तो उससे लाभ ही " क्या है? यह तो व्यर्थ व्यापार रहा और साथ ही द्वेषपरायणता का परिचय |
इसके बाद आपने आगे चल कर दो चार प्रमाण मूर्ति पूजक ग्रन्थकारों और लोंकागच्छीय यतियों के दिये हैं, किन्तु यह परिश्रम भी आपका व्यर्थ है, क्योंकि यह तो हम भी मानते हैं कि इस शब्द का मन्दिर मूर्ति अर्थ मूर्ति पूजा के अनुयायियों और समर्थकों ने किया
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