Book Title: Jainagama viruddha Murtipooja
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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चैत्य शब्द के अर्थ ********************************************
इस प्रकार आगमों में भी यह चैत्य शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। अब जरा अन्य मतावलम्बी विद्वानों के किए हुए अर्थ भी देखिये -
१. शब्द सोम महानिधि कोष में
"ग्रामादिप्रसिद्ध महावृक्षे, देवावासे जनानाम् सभास्थतरौ बुद्ध भेदे आयतने, चिताचिन्हे, जनसभायां, यज्ञस्थाने, जनानाम् विश्रामस्थाने, देवस्थाने च"
२. हिंदी शब्दार्थ पारिजात में
"देवायतन, मसजिद, गिर्जा, चिता, गांव का पूज्य वृक्ष मकान, यज्ञशाला, बिली वृक्ष, बौद्धसन्यासी, बौद्धों का मठ।"
३. भगवत पुराण स्कन्ध ३ अ० २७ में - अहंकारस्ततोरुद्रश्चित्तं "चैत्य" स्ततोऽभवत्।
(आत्मा अर्थ में) ४. बनारस की नागरी प्रचारिणी पत्रिका में -
"देव पूजा का पितृ पूजा से बड़ा सम्बन्ध है। देव पूजा पितृ पूजा से ही चली है। मन्दिर के लिए सबसे पुराना नाम चैत्य है, जिसका अर्थ चिता (दाह स्थान) पर बना हुआ “स्मारक' है।" ।
५. संसार प्रसिद्ध अंग्रेजी विश्वकोष “इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजियन एण्ड एथिक्स' जिल्द ३ पृ० ३३५ में।
इस चैत्य शब्द का लम्बा चौड़ा अर्थ किया गया है। जिसका संक्षिप्त मतलब चिता सम्बन्धी स्मारक चिह्न से ही है।
इस प्रकार अनेक अन्य दर्शनी ग्रन्थों में भी चैत्य शब्द मिलता है, पर कोई भी ग्रन्थकार हमारे मूर्ति पूजक महात्माओं की तरह मनमाने अर्थ नहीं करते।
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