Book Title: Jainagama viruddha Murtipooja
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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assena.२४६
. जैनागम विरुद्ध मूर्ति पूजा
२४६ *************本来学*************************
"गुणसीलए चेइये, पुण्णभद्दे चेइये" आदि। (व्यंतरायतन) ३. भगवती, उत्तराध्ययन, रायपसेणी आदि में
"पुप्फवतीए चेइये, मंडी कुच्छंसी चेइये" अंबसालवणे नामं चेइये" आदि (उपवन-बाग)
४. उत्तराध्ययन में - "चेइयेवच्छे" चेइयम्मि मणोरमे। (वृक्ष विशेष) ५. प्रश्न व्याकरण में - "मडय चेइयेसुवा" (दाहस्थान पर बनाया हुआ स्मारक) ६. ज्ञाता धर्म कथांग में - "सिग्धं, चण्डं, चवलं, तुरियं, चेइयं" (गति विशेष) ७. आचारांग में - "आगारिहिं अणागाराइं चेइयाइं भवंति" . (बनवाना चुनवाना) ८. ठाणांग, भगवती, उपासक दशांग, उववाई आदि में - 'चेइयाणि" (साधु) ६. समवायांग-प्रश्नव्याकरण में - "चेइय" (ज्ञान) १०. जीवाभिगम, राजप्रश्नीय आदि में"चेइय थूभाणं, चेइय खंभे" (स्मारक चिह्न, स्मारक स्तंभ) ..
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