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विषयानुक्रमणिका
प्रथम अध्याय जैन श्रमण : विभिन्न धार्मिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में तथा संघ और सम्प्रदाय
(क) श्रमण विचार धारा की पृष्ठभूमि 31 - 90
(i) जैन श्रमण के पर्यायवाचीनाम 33 (ii) श्रमण अग्रणी : श्रूषभदेव 35 (ii) जैन श्रमण और हिन्दु धर्म 36 (v) जैन श्रमण और वातरशना 41 (vi) जैन श्रमण और इस्लाम 45
(ख) भारतीय पुरातत्व और जैन श्रमण
(i) मोहनजोडरो का पुरातत्व 47 (ii) अशोक के शासन लेख में जैन श्रमण 48 (iii) अहिच्छेत्र के पुरातत्व 49 (iv) कौशाम्बी का पुरातत्व 49 (v) कुहाऊं गुप्तकालीन पुरातत्व 49 (vi) राजगृह का पुरातत्व 50 (vii) बंगाल का पुरातत्व 50 (viii) कादम्ब राजाओं के ताम्रपत्र में जैन श्रमण 50 (ix) एलोरा की गुफाएं 51
(ग) भारत के विभिन्न साम्राज्यों में जैन श्रमण
नन्द साम्राज्य 51 मौर्य साम्राज्य 52 सिकन्दर महान् और जैन श्रमण 52
(छ) भारतीय साहित्य में जैन श्रमण
(i) संस्कृत साहित्य में जैन श्रमण 54 (ii) तमिल साहित्य में जैन श्रमण 55
(ड.) संघ और संप्रदाय
(i) भेद : भूमिका 56 (ii) सम्प्रदाय भेद, उत्पत्ति 57 (iii) श्वेताम्बरीय मान्यता में दिगम्बर सम्प्रदाय की उत्पत्ति 69 (iv) दिगम्बर सम्प्रदाय और उसके भेद 75 (v) मूल संघ के गण, मच्छ और अन्वय 76 (vi) नन्दि संघ 78 (vii) सेन संघ 79 (ix) काष्ठा संघ एवं माकुर संघ 79 (x) यापनीय संघ 80 (xi ) द्राविड़ संघ 81