Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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(Ix) मूर्त्तत्व
११०
(XI) वर्ण
112 • 'द्रव्य-गु-५यायनो २१स' तथा 'द्रव्यानुयोग५२मश' व्यायामा एविता पार्थोनी याही . गुण-गुणिभाव संबंध देखिए संबंध
१४१८-२३,१४५१,१६८६-१६८८ गुण-द्रव्य आरोप देखिए आरोप (+उपचार) (V) गन्ध
१६८६-१६८८ गुण-द्रव्य उपचार देखिए उपनय
(VI) चैतन्य
१६८६-१६९१ (२) असद्भूत व्यवहार (VII) ज्ञान
१६८५, १६८८ गुण-द्रव्य उपचार देखिए उपचार (+ आरोप) (VIII) दर्शन
१६८५, १६८८ गुणनिक्षेप देखिए निक्षेप
१६८७-१६९१ गुणपदार्थ (जैन) १०३-१०७ (x) रस
१६८६-१६८८ गुणपदार्थ (चरक)
१६८६-१६८८ गुणपदार्थ (नैयायिक)
१०८-१०९ (XII) वर्तनाहेतुता १६८६-१६८८ गुणपदार्थ (मीमांसक)
११०-१११ (XIII) वीर्य
१६८५, १६८८ गुणपदार्थ (रसवैशेषिक)
१११ (XIV) सुख
१६८५, १६८८ गुणपदार्थ (वेदान्त)
१११ (xv) स्थितिहेतुता १६८६-१६८८ गुणपदार्थ (वैयाकरण)
११२ (XVI) स्पर्श
१६८६-१६८८ गुणपदार्थ (सांख्य)
१०९
(२) सामान्य गुण गुणपर्याय देखिए पर्याय (नयचक्रादि परिभाषा)। (1) अगुरुलघुता
१६६४-१६६८ गुणपर्याय देखिए पर्याय (प्रवचनसारवृत्ति
(II) अचेतनता
१६७१-१६७२ परिभाषा) (III) अमूर्तता
१६७२-१६८१ गुण पर्याय
देखिए पर्याय (दिगंबर) (IV) अवशिष्ट सामान्यगुण १६९६, १८३५, गुण पर्याय देखिए पर्याय (देवचन्द्रमत)
२०९५ गुण-पर्यायअभेद १७५-१८४,१८७-१८८, (V) अस्तिता
१६५१-५२ १९३-१९६,२००-२०६, (VI) चेतनता
१६७०-१६७१ २०९-२१०,२१२-२१७,८५० (VII) द्रव्यता
१६५५-१६६० गुण-पर्याय उपचार देखिए उपनय
(VIII) प्रदेशता १६६९-१६७० (२) असद्भूत व्यवहार | (IX) प्रमेयता
१६६०-१६६४ गुण-पर्याय उपचार देखिए उपचार (+आरोप)| (x) मूर्तता
१६७२-१६८१ गुण-विजातीयगुण आरोप देखिए आरोप
(XI) वस्तुता
१६५२-५३ (+उपचार) | गुण भेद
देखिए भेद (प्रकार) गुणप्रकार
|गुण लक्षण (चरकसम्मत) देखिए लक्षण (१) विशेष गुण
(२२) गुण लक्षण (1) अचैतन्य
१६८६-१६९१ | गुण लक्षण (दिगम्बरसम्मत) देखिए लक्षण (II) अमूर्त्तत्व १६८७-१६९१
(२२) गुण लक्षण (III) अवगाहहेतुता १६८६-१६८८ | गुण लक्षण (नागार्जुनसम्मत) देखिए लक्षण (IV) गतिहेतुता १४१२,१४१४,
(२२) गुण लक्षण