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३६ / अप्पा सो परमप्पा
उन मृतात्माओं का आह्वान कर उनसे कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं और उन प्रश्नों के जो उत्तर उन मृतात्माओं से मिलते हैं, वे यथार्थ और प्रामाणिक निकलते हैं। यह पुनर्जन्म का प्रबल प्रमाण है। इस प्रकार के प्रयोग धडल्ले से हो रहे हैं और प्रयोगकर्ता आत्मा का अस्तित्व स्वीकार करने लगे हैं। सूक्ष्म शरीर के अद्भुत कार्य
प्राचीनकाल की कथाओं में परकाया प्रवेश के प्रयोग की घटनाओं का उल्लेख किया गया है। परकाया प्रवेश में आत्मा द्वारा सूक्ष्म शरीर से युक्त होकर दूसरे के शरीर में प्रवेश किया जाता है। वर्तमान में किरलियान दम्पति ने एक विशेष प्रकार की फोटो पद्धति से सूक्ष्म शरीर, आभा. मण्डल आदि से फोटो लिये हैं। मरते हुए व्यक्त के फोटो लेने पर उसमें उसके शरीर की एक आकृति शरीर से निकल कर बाहर जा रही है। इस प्रयोग ने तो अनात्म वादियों को प्रबल चुनौती दे दी है। ओपरेशन टेबल पर लिटाये गये एक व्यक्ति को क्लोराफॉर्म संघाकर बेहोश करने के बाद उसने अनुभव किया “कि ऑपरेशन के समय मेरा सूक्ष्म शरीर ऊपर चला गया है। मैं अपनी ऑपरेशन क्रिया देख रहा हूँ। ओपरेशन पूरा होने पर मैं पुनः स्थूल शरीर में आ गया है । इस सूक्ष्म जगत् की जानकारी ने पूर्वजन्म और पुनर्जन्म के समाधान की दशा में एक अनुकूल समाधान प्रस्तुत कर दिया है। जैनशास्त्रों में समुद्घात का वर्णन भी इसी से कुछ मिलता-जुलता है।
यद्यपि सूक्ष्मशरीर जैन दृष्टि से चतुःस्पर्शी परमाणु-स्कन्धों से बना होता है और अभौतिक नहीं, भौतिक पौद्गलिक है। इसका जो फोटो प्लेट पर उतरता है, वह आत्मा का नहीं है, वह तेजस या कार्मण शरीर का है। आत्मा तो इससे भी परे की बात है । उसका फोटो नहीं लिया जा सकता, क्योंकि वह सर्वथा अमूर्त-अभौतिक है। किन्तु वैज्ञानिकों ने इसे न्युत्रिलोन कणों से निर्मित एवं अभौतिक मान लिया । जो भी हो, आत्मा के अस्तित्व की खोज में यह प्रयोग आशास्पद है।
इन सब प्रमाणों और अभिनव प्रयोगों के आधार पर निःसन्देह यह कहा जा सकता है कि आत्मा त्रैकालिक शाश्वत एवं स्वतंत्र पदार्थ है। अत्मा का अस्तित्व मान लेने पर परमात्मा बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
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