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पृष्ठ विषय १४३ विवाह-विधि और राज्याभिषेक | १६२ प्रवेशयात्रा । . १४४ दीक्षा कल्याणक । १६३ गहुँली या रस्नापसी । १४५ केवलशान कल्याणक और देशमा १६४ श्री सूरतके सकल जैन १४५ देशना।
संघ से विनती। १४६ भंजन शलाका विधि । । १६५ साम्रपत्र-आगममंदिर। १४८ गद्दी-प्रतिष्ठा।
१६६ बचन-सिद्धि। १५१ दर्शन के द्वार ।
१६७ गाजीपुरा में प्रतिष्ठा। १९ अध्याय बहता पानी निर्मला १६८ अप्रतिम प्रतिष्ठा। १५२ कपडवज की ओर ।
१६९ स्थिरता। ..... ::: १५२ समाज का सम्मेलन । २१ अध्याय महाप्रयाण । १५३ अनासक्त योगी।
१७१ कामकी गति । १५४ समता की सिदि। १७१ कार्य अधूरे नहीं रहे। १५७ बबई की और
१७२ महा व्याधि। १५७ देशना ।
१७३ आराधना और भावना । १०८ विदा।
१७४ मौन में मुमिराज। १५८ बम्बई के प्रिय मेहमान । १७४ भर्ष पद्मासनावस्था में अमन १५९' प्रवचनों की बौछार ।
१५५ दीपक बुझ जाता है। १५९ महिराजा का षड्यन्त्र । १७७ भयानक आक्षत। १६० कोम्फरन्स के काले प्रस्ताव । १७८ अन्तिम यात्रा। १६१ हितचिंतक हृदय । १७९ धर्मपुत्र के हाथों अग्निदाह " विहार।
१८० गुरु-मदिर। २०ध्याय सागरजी और सूरत । १८२ अनुमति ।