Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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नायाधम्मकहाओ
उसमें षड्जीवनिकाय और पांच महाव्रत का स्थान प्रमुख है।
द्रष्टव्य-- दसवेआलियं -- ४ / १-२३ सूयगडो--१/१/५६-५९
आचारांग भाष्यम्--प्रथम अध्ययन
९. ( सूज २४ )
प्रस्तुत सूत्र में होलनीय, निन्दनीय कुत्सनीय गर्हणीय और परिभवनीय--ये पांच शब्द अवमानना के द्योतक हैं। इनमें अर्थभेद भी
१. ज्ञातावृत्ति पत्र १०२ - हीलनीयों गुरुकुलाद्युबट्टनतः निन्दनीयः कुत्सनीयो-मनसा, लिंसनीयोजनमध्ये गर्हणीय:-- समक्षमेव च
परिभवनीयोऽनभ्युत्थानादिभिः ।
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तृतीय अध्ययन : टिप्पण ८-९
१. हीलनीय -- गुरु या कुल की न्यूनता का उद्घाटन कर तिरस्कृत करना । २. निन्दनीय - - वाणी के प्रयोग से तिरस्कृत करना ।
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३. कुत्सनीय - - मन में अवज्ञा के भाव उत्पन्न होना ।
४. गर्हणीय--सम्बन्धित व्यक्ति के समक्ष ही उसका तिरस्कार करना । ५. परिभवनीय अभ्युत्थान आदि लोकोपचार विनय का प्रयोग न
करना ।
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