Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 433
________________ नायाधम्मकहाओ ४०७ दूसरा श्रुतस्कन्ध, द्वितीय वर्ग : सूत्र १-१० बीओ वग्गो : द्वितीय वर्ग पढमं अज्झयणं : अध्ययन १ सुंभा : 'शुम्भा' १. जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अयमद्वे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भते! वग्गस्स समणेणं भगवया महावीरेणं के अटे पण्णते? १. भन्ते! यदि श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के प्रथम वर्ग का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है तो भन्ते! द्वितीय वर्ग का श्रमण भगवान महावीर ने क्या अर्थ प्रज्ञप्त किया है? २. एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा--सुंभा, निसुंभा, रंभा, निरंभा, मदणा।। २. जम्बू! श्रमण भगवान महावीर ने द्वितीय वर्ग के पांच अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं, जैसे--शुम्भा, निशुम्भा, रम्भा, निरम्भा, मदना। ३. जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, दोच्चस्स णं भंते! वग्गस्स पढमज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते? ३. भन्ते! यदि श्रमण भगवान महावीर ने धर्म कथाओं के द्वितीय वर्ग के पांच अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं तो भन्ते! द्वितीय वर्ग के प्रथम अध्ययन का उन्होंने क्या अर्थ प्रज्ञप्त किया है? ४. एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए। सामी समोसढे। परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ।। ४. जम्बू! उस काल और उस समय राजगृह नगर था। गुणशिलक चैत्य । स्वामी समवसृत हुए। जनसमूह आया यात पर्युपासना की। ५. तेणं कालेणं तेणं समएणं सुंभा देवी बलिचंचाए रायहाणीए सुंभवडेंसए भवणे सुंभंसि सीहासणंसि विहरइ । काली गमएणं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया।। ५. उस काल और उस समय शुम्भा देवी बलिचञ्चा राजधानी के शुम्भावतंसक भवन में शुम्भ सिंहासन पर विहार कर रही थी। काली के वर्णन के समान ही नाट्य विधि प्रदर्शित कर वापस चली गई। ६. पूर्वभव पृच्छा । ६.पुब्वभवपुच्छा । ७. सावत्थी नयरी। कोट्ठए चेइए। जियसत्तू राया। सुंभे गाहावई। सुंभसिरी भारिया। सुंभा दारिया। सेसं जहा कालीए नवरं अद्भुट्ठाई पलिओवमाइं ठिई। ७. श्रावस्ती नगरी। कोष्ठक चैत्य । जितशत्रु राजा। शुम्भ गृहपति । शुम्भश्री भार्या । शुम्भा बालिका। शेष काली के समान, विशेष--उसकी स्थिति साढ़े सात पल्योपम थी। ८. जम्बू! इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर ने द्वितीय वर्ग के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है। ८. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं दोच्चस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते।। २-५ अज्झयणाणि ९. एवं--सेसा वि चत्तारि अज्झयणा । सावत्थीए । नवरं--माया पिया धूया-सरिनामया॥ २ से ५ अध्ययन १. इसी प्रकार-शेष चार अध्ययन ज्ञातव्य हैं। श्रावस्ती नगरी। विशेष--माता-पिता और पुत्री के नाम समान हैं। २. जम्बू! इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के द्वितीय वर्ग का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है। १०. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं बिइयस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते॥ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only cation Intermational www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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