Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 461
________________ नायाधम्मकहाओ अट्टज्झाण अट्टणसाला अडिय अट्ठमभत्त अड्ड अक्कन्ि अणंगसेणा अणगार अणधारग अणवयग्ग अणह अणागलिय अणादायमाण अणिमिस अणिय अनिवाण अणुगच्छ अणुगिलिता अणुणाण अणुपत्त अणुमग्गजाइया अणुमग्गजायय स अणूण अणेगखंडि अतत्थ अत्तए अतित्य अत्थरय अत्थोग्गह अथाम अदूरसामंत अद्धट्ठ अणिण्हवमाण अभिज्जमाण अपक्खेवग अपत्थयण अपरिणाणिज्जमाणी अपरियाणमाणी अपाणय अपूइ अपेसे अपोरिसिय Jain Education International अशुभध्यान व्यायामशाला १/१/३४ १/१/२४ हड्डि १/८/२५ तेला (लगातार तीन दिन का उपवास) १/१/५३ १/२/७ १/५/४७ १/५/६ १/१/४ १/१८/२१ १/३/२४ १/८/६७ १/८/२० आढ्य, समृद्ध अविचलनीय गणिका का नाम साधु कर्जदार अनन्त निष्कलंक दुर्निवार आदर न देते हुए निर्निमेष सेना पौदगलिक समृद्धि का संकल्प न करना अनुगमन करना निगलकर अनुमोदना करना प्राप्त अनुजा अनुज गरजना परिपूर्ण, अन्यून अनेक खंडों वाली अत्रस्त पुत्र घाटरहित प्राचीन समय की चादर अर्थ का अवग्रहण अशक्त न दूर न पास साढ़े तीन अपलापन करते हुए पीछा किया जाना जिसका पाथेय मार्ग में समाप्त हो गया पाथेय रहित उपेक्षित होती हुई ध्यान न देती हुई निर्जल ४३५ अपरिवर्तनीय प्रेष्यरहित पुरुष प्रमाण से अधिक गहरा १/१/३६ १/३/१८ १/८/२०२ १/१/१६४ १/८/१६८ १/१८ / १८ १/८/७३ अप्प अफासुय अहिलेस अब्भंग अब्भणुण्णाय अमितराणिन्ज अब्भुक्छेह अब्भुग्गय अब्भुज्जय अब्भुट्ठिय अब्भुण्णय अभक्खय अभिरुइय अभिरूव अभिमुह अभिसरमाण १/१/६६ १/७/८ १/२/१३ अमित १/३/२६ १/१८/५ १/८/११५ १/५/१३ १/१५/६ १/१/३६ १/१/३६ अमइल अमणाम अनगुण्ण अयसि अरिस अलंकारियकम्म अलंकारियतभा अलेवाड अल्ल अल्लीण १/१/१५ अवथद्ध १/१/१६० अवद्दहण १/१/१८ १/१/२० अवदालिय १/१६/२१ अवबार १/१/६ अवमद्दक १/५/६ अवयास १/१/४८ अवरित्त १/१६/२६ अवसवस १/१५/६ अवहिय अवितह अवियाउरी असंपुडिय असण १/८/२२२ असिणिद्ध १/१६/३०० असिय १/१४/७८ ६/४ अखिल असिलिग For Private & Personal Use Only आप्त अप्रासुक (जीवसहित) आत्मोन्मुख भावधारा वाला मर्दनद्रव्य अनुज्ञा प्राप्त अन्तरंग अभिसिंचन करना मेघ का उमड़ना मेघ का विस्तार पाना मेघ का वर्षा हेतु तत्पर होना झुका हुआ मेघ अभक्ष्य रुचिकर कमनीय सामने सरकता हुआ अमलिन अमनोहर अमनोज्ञ शत्रु कुसुम विशेष अर्श हजामत सौन्दर्य प्रसाधन गृह अपकृत गीता (आई) सुव्यवस्थित अवष्टब्ध अपदहन ( रोग प्रतिकार हेतु रुग्ण अंग पर डाम लगाना) चौड़ा होना अपहृत सत्य अप्रजननशीला खोलकर भोजन स्नेहरहित परिशिष्ट- ४ १/२१३ ५/७३ १/१६४ दात्र नंगी तलवार एक दूसरे से अलग १/१/२४ १/१/१६ १/१२/३० १/२/१४ १/१/३३ १/१/३३ १/१/३३ १/१/३३ १/५/७३ १/१/१०२ १/१/१० १/१/७ २/१२ १६/१८५ १/१०५ १/१/१०५ १/४/७७ १/५/१० १/१३/२८ १/२/५८ १/२/५८ १/८/२२ १/१/१५६ अपद्वार ( पीछे की खिड़की, दरवाजा) १/२/११ अवमर्दक, नाशक १६/१६३ आलिंगन १/२ / ६६ अपरीय (पश्चिम दिशा वाला) १/८/२० विवशता से १/१६/५३ २/ २८ १/१/२१ १/२ / ८ १/१/१५६ १/१/३० १/८/७२ १/१८/३५ १/१/१५६ १/१८/५१ १/१३/३० १/७/१५ १/१८/३५ १/८/७२ www.jainelibrary.org

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