Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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अंक
अंकण
अंकधाई
अंकुसय
अंगण
अंगय
अंगारक
अंगुलिया
अंगुलेज्जग
अंजण
अंतकरभूमि अंतगमण
अंतर
अंतरायण
अंतरिया
अंतलिक्ख
अवास
अंद
अंबधाई
अंस
अंसु
अंसुय
अहिज्जमान
अइक्कंत
अइगच्छमाण
अइगमण
अइगय
अइजागरय
अइभद्दय
अइया
अइवइता
अइवयंत
अइवयमाणी
अकंत
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रत्नविशेष
अंकन अंकधात्री
(पांच धाय माताओं में से एक)
अंकुश
आंगन
समाधान
मध्यवर्ती लोहस्तम्भ
मार्गवर्ती दुकान
आभूषण विशेष
१/१/१२८
मंगल
१/१/५६ अगड
अंगुली
१/८/७४
अंगूठी
१/१/२४
काला पत्थर, काला सुरमा १/१/५६, १/१६/२० निर्वाणभूमि
१/८/२३३
१/१/४८
१/१/१८
१/१२/१६
१/१/२८
१/१/५७
१/१/४
१/३/२४
भीतरी भाग
अंतरिक्ष
शिष्य (गुरु के निकट रहने वाला)
श्रृंखला
धायमाता
कन्धा
अश्रु
वस्त्रविशेष
पानी के प्रवाह से पुनः आक्रान्त हुई अतिकान्त
परिशिष्ट-४
विशेष शब्दानुक्रमणिका
आता हुआ प्रवेशमार्ग
आगे निकल जाना
अतिजागरण
अतिभद्र
बकरी
छोड़कर
प्रविष्ट होते हुए
नाश करने वाली
अकमनीय
१/१/३३ अकामक
१/१७/३३ अकारय
१/१/८२
अक्कंत
अक्खा
अक्खयमिहि
१/५/८०
१/५/३६ अस्ति
अक्खोड़
अगठिय
अगरु
अगारवास
अमिलाए
अग्गिच्च
अग्गिमाणव
अग्निसामण्ण
अग्गिसाहिय
अग्गुज्जाण
अग्घायमाणी
अचक्खुफास
अचोक्ख
अच्चासन्ने
१/१/१३३
१/१८/३५
१/१/१२७ अच्चि
१/१/३३ अच्चुय
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अच्छ
अच्छ
अच्छणघरय
१/१/४६
१/१/१५३ अच्छर
१/२/११ अच्छि
१/१/१६० अच्छिद्द
१/१६/३६ अजाइय
१/१६/१८५ अजीरय
१/१/१५६ अज्जय
१/६/४ अज्जव
9/9/9€
१/५/२३
१/१/१०५
अज्झत्थिय
अज्झोववण्ण
अटिडियाविनमाण
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अनिच्छापूर्वक
अरुचि
आक्रान्त
नाम
स्थायी कोष
प्रलोभन देकर उड़ा देना
खींचना, पछाड़ना
कूप
अग्रथित
अगर (गंधद्रव्य)
गृहवास
अग्लान भाव से
आग्नेव (लोकान्तिक देव)
उत्तरदिग्वती इन्द्र
अग्नि के स्वामित्व वाला
अग्नि से जला सकने योग्य
प्रधान उद्यान
सूंघती हुई
अन्धकार
खराब
अतिनिकट
रश्मि
अच्युत, बारहवां देवलोक
स्वच्छ
भालू
आसनगृह
अप्सरा
आंख
सलवटरहित
अयाचित
अजीर्ण
पितामह
ऋजुता
आन्तरिक
तद्विषयक एकाग्रता को प्राप्त
न बजाना
१/१/११४
१/१३/२८
१/१३/४१
१/७/४४
१/२/१२
१/२/२६
9/8/99
१/८/१५४
१/१७/२४
१/१७/३६
१/८/२३५
१/१/२०७
८/२०२
२/४/८
१/१११
१/१/१११
१/८/८१
१/१/६७
१/१४/७८
१/८/१६
१/१/६६
१/१/८६
१/१/२११
१/१/१८
१/१/१७८
१/३/१६
१/५/३
१/१/१५३
१/१/१५६
१/५/७३
१/१३/२८
१/१/११०
१/१/४
१/१/४८
१२/२/२८
१/३/२६
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