Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्ट २
सो अप्पहिएक्करई, इहलोयम्मिवि विऊहिं पणयपओ। एतसुही जायह, परम्य मोक्खपि पावे ॥
सोइदिय दुतत्तणस्स अह एतिओ हयद दोसो। जं जलणंमि जलते, पडइ पयंगो अबुद्धीओ ||
सो इह चेव भवम्मि, जणाण धिक्कार-भायणं होइ । परलोए उ दुहत्तो, नाणा जोणीसु संचरइ ॥
सो इह संघप्पहाणी, जुगप्पहाणोत्ति लहइ संसद्दं । अप्प परेसि कलाकार गोयमपव्य ॥
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नायाधम्मकहाओ
सो एत्थ जहिच्छाए, पावइ आहारमाइ लिंगित्ता । विउसाण नाइपुज्जो, परलोयंसी दुही चेव ॥
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हरिरेण-सोणिसुत्तग-सकविल-मज्जार-पायकुक्कुड-वोंडसमुग्गयसामवण्णा । गोहूमगोरंग-गोरपाडल-गोरा, पालवण्णा व धूमवण्णा व केह
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हीणगुणो वि हु होउं, सुहगुरुजोगाड़ - जणियसंवेगो । पुण्णसरूवो जाय, विद्धमाणो ससहरोव्य ॥
ऊदाहरणासंभवे य, सइ सुटठु जं न बुज्झेज्जा । सव्वष्णुमयमवित, तहाविद चिंतए मदमं ॥
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