Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 469
________________ परिशिष्ट-४ लेझ वग्गू सज्ज बसट्ट सर्प नायाधम्मकहाओ ४४३ चाटने योग्य १/१७/३६ संगेल्ली (दे.) लेसणी श्लेषणी (विद्या का एक प्रकार) १/१६/१८५ संछूढ़ लोमहत्थग प्रमार्जनी १/८/५६ संजत्ता लोट्टय हाथी का बच्चा १/१/१५७ संझब्भ बंदणघट मंगलकलश १/१/७६ संडासग वग्गण कूदना १/१/२४ संतसार वाणी १/१/४४ संथवय वग्याड़िया ठहाका मारकर हंसना १/८/१४६ संथारग वच्चंसी सौभाग्य आदि गुणों से युक्त १/१/४ संदमाणी वल्लकी सात तंत्रों से बजने वाली वीणा १/१७/२२ संबाहणा वणलया अशोकलता १/१/२५ संवच्छरपडिलेहण वण्णगविलेवण चन्दन का लेप १/१/२४ संसारेइ वयंस सखा १/८/१८४ वराह सूअर १/१/१५६ सज्ज वलिय बलखाती हुई १/१/१७ सज्ज कामना से आर्त्त १/१/१५४ सज्जपुढ़वी यसण कष्ट १/२/११ सज्जीव वसण वृषण, अण्डकोश १/२/७६ सज्झाय वाबाह प्रकृष्ट बाधा १/४/११ सणिच्छर वाल वन्य जन्तु १/२/४ सत्तुस्सेह वाल १/१/१७ सत्थ द्विगुणित १/६/४१ सत्थरय विग भेड़िया १/१/१७८ सद्दल विच्छ्य वृश्चिक, बिच्छू १/८/७२ समिय विडंक छज्जा १/१/१८ समुल्लाव विप्पओग वियोग १/१/१०६ समुल्लावए विप्पवसिय प्रवासित १/२/११ सम्मय विब्बोयण (दे.) उपधान (तकिया) १/१/१८ सयवत्त वियडी तराई का जंगल १/१/१५८ सर विराल बिडाल १/१/१७८ सर विराहग विराधक, स्वीकृत साधना का १/११/२ सर अतिक्रमण करने वाला सरभ विसप्पमाण विकस्वर १/१/१६ सरय वीयणग जिसके मध्य में दण्ड हो, १/१/१०६ सरीसिव वह चर्ममय पंखा सस वेयडगिरि हिमालय, वैताढ्य पर्वत १/१/१५६ सस्स वेलवंग विदूषक १/१/७६ सस्सिरीय वेसागार गणिकागृह १/२/११ वोद्दहजण (दे.) तरुणजन १/१६/१६३ साडोल्लए संख सांख्यदर्शन १/५/५५ सामलया संखित्तविउलतेओलेस्स विपुल तेजोलेश्या को १/१/४ सालभंजिय अन्तर्लीन रखने वाला सालिअक्ख संखोभिज्जमाण संक्षुब्ध १/६/१० सालिंगणवट्टिय संगार प्रतिज्ञा १/३/७ सावएज्ज संघाइम अनेक अवयवों के संघात से निष्पन्न १/१३/२० विउण हाथ थामना १/३/१६ संक्षिप्त १/१७/१३ सांयात्रिक १/८/६४ सन्ध्याभ्र १/१/१६५ अंगुष्ठ व अंगुलि के पकड़ का भाग- १/८/१३० श्रेष्ठ सुगन्धित द्रव्य १/१/६१ प्रशंसक १/१६/१८५ बिछौना १/१/२४ पालकी १/५/१५ मर्दन १/१/२४ जन्मदिन १/८/६० दूर तक सरकाना १/३/२१ सलइ का वृक्ष १/१/३३ साजी १/१२/१६ सन्नद्ध १/८/१६३ ताजा मिट्टी १/५/५५ प्रत्यञ्चा सहित १/५/६१ स्वाध्याय १/१४/४१ शनि नक्षत्र १/१/५६ सात हाथ ऊंचाई वाले १/१/६ शस्त्र १/१/५३ शय्या १/१३/२४ दूब १/१/३३ गेहूं का आटा १/८/६६ वार्तालाप १/२/१२ सम्मत १/१/१७ नीलकमल १/१/८६ १/१/१२६ बाण १/१४/७५ सरोवर १/१/१५८ अष्टापद १/१/२५ सरक १/१८/५६ १/१/१५६ खरगोश १/१/३३ फसल १/८/२८ श्रीसम्पन्न १/१/१६ वक्रता १/२/११ उत्तरीय वस्त्र १/१८/८ प्रियङ्गलता १/१७/१४ पुतलियां १/१/१८ शालिकण '१/७/७ शरीर प्रमाण उपधान (मसनद) १/१/१८ स्वाधीनतापूर्वक व्यय किए १/१/६१ जाने वाला धन लोरी स्वर सांप साइ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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