Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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नायाधम्मकहाओ
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अठारहवां अध्ययन : सूत्र ९-१५ ९. तए णं ते बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिभिया य ९. वे बहुत से शिशु, किशोर-किशोरियां और कुमार-कुमारियां रोते,
कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य कंदमाणा य सोयमाणा य चिल्लाते, शोक करते, आंसू बहाते और विलाप करते हुए अपने-अपने तिप्पमाणा य विलवमाणा य साणं-साणं अम्मापिऊणं निवेदेति ।। माता-पिता से यह बात कहते।
चिलायस्स गिहाओ निक्कासण-पदं १०. तए णं तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अम्मापियरो जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता धणं सत्थवाह बहूहि खिज्जणियाहि य रुंटणाहि य उवलंभणाहि य खिज्जमाणा य इंटमाणा य उवलंभमाणा य धणस्स सत्थवाहस्स एयमढें निवेदेति॥
चिलात का घर से निष्कासन-पद १०. उन बहुत से शिशुओं, किशोर-किशोरियों और कुमार-कुमारियों के
माता-पिता जहां धन सार्थवाह था, वहां आए। वहां आकर खीज, ____ रुदन, अवज्ञा और उपालम्भ के शब्दों में रोष और अवज्ञा प्रकट
करते हुए तथा उपालम्भ देते हुए धन सार्थवाह से इस अर्थ का निवेदन किया।
११. तए णं से धणे सत्यवाहे चिलायंदासचेडं एयमद्वं भज्जो-भज्जो
निवारेइ, नो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमइ।।
११. धन सार्थवाह ने दासपुत्र चिलात को इसके लिए बार-बार रोका, किन्तु ___ दासपुत्र चिलात इन प्रवृत्तियों से उपरत नहीं हुआ।
१२. तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ अप्पेगइयाणं वट्टए अवहरइ अप्पेगइयाणं आडोलियाओ अवहरइ, अप्पेगइयाणं तिंदूसए अवहरइ, अप्पेगइयाणं पोत्तुल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं साडोल्लए अवहरइ, अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकार अवहरइ, अप्पगइए आउसइ अवहसइ निच्छोडेइ निब्भच्छेइ तज्जेइतालेइ।।
१२. वह दासपुत्र चिलात उन बहुत से शिशुओं, किशोर-किशोरियों और ___कुमार-कुमारियों में से किसी की कपर्दिकाएं-कौडियां चुरा लेता, किसी
के गोले चुरा लेता, किसी के खिलौने चुरा लेता, किसी की गेंद चुरा लेता, किसी की कपड़े से बनी गुड़िया चुरा लेता, किसी का उत्तरीय वस्त्र चुरा लेता तथा किसी के गहने, माला और अंलकार चुरा लेता। वह किसी को गालियां देता, किसी का उपहास करता, किसी को धमकाता, किसी की निर्भर्त्सना करता, किसी को तर्जना देता और किसी को ताड़ना देता।
१३. तए णं ते बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिभिया य
कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य कंदमाणा य सोयमाणा य तिप्पमाणा य विलवमाणा य साणं-साणं अम्मापिऊणं निवेदेति ।।
१३. उन बहुत से शिशुओं, किशोर-किशोरियों और कुमार-कुमारियों ने
रोते, चिल्लाते, शोक करते, आंसू बहाते और विलाप करते हुए अपनेअपने माता-पिता से सारी बात कह दी।
१४. तए णं ते आसुरुत्ता रुट्ठा कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणा १४. तब वे क्रोध से तमतमा उठे। वे रुष्ट, कुपित, चण्ड और क्रोध से
जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता बहूहिं जलते हुए जहां धन सार्थवाह था, वहां आए। वहां आकर खीज, अवज्ञा खिज्जणाहि य रुंटणाहि य उवलंभणाहि य खिज्जमाणा य और उपालम्भ के शब्दों में रोष और अवज्ञा प्रकट करते हुए तथा एंटमाणा य उवलंभमाणा य घणस्स सत्थवाहस्स एयमढें उपालम्भ देते हुए धन सार्थवाह से इस अर्थ का निवेदन किया। निवेदेति।।
१५. तए णं से घणे सत्यवाहे बहूणं दारगाणं दारियाणं डिंभयाणं १५. उन बहुत से शिशुओं, किशोर-किशोरियों और कुमार-कुमारियों के डिभियाणं कुमारयाणं कुमारियाणं अम्मापिऊणं अंतिए एयमटुं माता-पिता से यह अर्थ सुनकर धन सार्थवाह क्रोध से तमतमा उठा। सोच्चा आसुरुत्ते रुढे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे चिलायं उसने रुष्ट, कुपित, चण्ड और क्रोध से जलते हुए दासपुत्र चिलात दासचेडं उच्चावयाहिं आउसणाहि आउसइ उद्धंसइ निब्भच्छेइ को बहुत से उच्चावच, आक्रोश पूर्ण शब्दों से कोसा, तुच्छता सूचक निच्छोडेइ तज्जेइ उच्चावयाहिं तालणाहिं तालेइ साओ गिहाओ शब्दों से तिरस्कृत किया, निर्भर्त्सना की, धमकाया, तर्जना दी, निच्छुभइ॥
उच्चावच ताड़ना से प्रताड़ित किया और अपने घर से निष्कासित कर
दिया।
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