Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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नायाधम्मकहाओ
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अष्टम अध्ययन : सूत्र १९-२४ महब्बलादीणं विविहतवचरण-पदं
महाबल आदि का विविध तपश्चरण-पद १९. तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं १९. महाबल प्रमुख सात अनगार मासिक भिक्षु-प्रतिमा को स्वीकार कर उवसंपज्जित्ता णं विहरति जाव एगराइयं ।।
विहार करते । यावत् एक रात्रि की भिक्षु प्रतिमा स्वीकार कर विहार करते।
२०. तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति, तं जहा--
चउत्थं करेंति, सव्वकामगुणियं पारेति । छटुं करेंति, चउत्थं करेंति । अट्ठमं करेंति, छटुं करेंति। दसमं करेंति, अट्ठमं करेंति । दुवालसमं करेंति, दसमं करेंति। चोद्दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति । सोलसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति । अट्ठारसमं करेंति, सोलसमं करेंति । वीसइमं करेंति, अट्ठारसमं करेंति । वीसइमं करेंति, सोलसमं करेंति। अट्ठारसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति । सोलसमं करेंति, दुवालसमं करेंति। चोद्दसमं करेंति, दसमं करेंति । दुवालसमं करेंति, अट्ठमं करेंति। दसमं करेंति, छटुं करेंति। अट्ठमं करेंति, चउत्थं करेंति ।
छटुं करेंति, चउत्थं करेंति, करेत्ता सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेंति।
एवं खलु एसा खुड्डागसीहनिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहि य अहोरत्तेहिं अहासुत्तंजाव आराहिया भवइ।।
२०. उसके बाद वे महाबल प्रमुख सात अनगार लघुसिंहनिष्क्रीडित' नाम का तप: कर्म स्वीकार कर विहार करते, जैसे--
चतुर्थ भक्त करते, सर्वकाम गुणित (अभिलषणीय रसोपेत आहार से पारणा करते। (इस प्रकार मध्य में एक-एक दिन के भोजन के अन्तराल से वे) षष्ठ भक्त करते,
चतुर्थ भक्त करते। अष्टम भक्त करते, षष्ठ भक्त करते। दशम भक्त करते,
अष्टम भक्त करते। द्वादश भक्त करते, दशम भक्त करते। चर्तुदश भक्त करते, द्वादश भक्त करते। षोडश भक्त करते,
चतुर्दश भक्त करते। अष्टादश भक्त करते.
षोडश भक्त करते। विंशति भक्त करते, अष्टादश भक्त करते। विंशति भक्त करते,
षोडश भक्त करते। अष्टादश भक्त करते, चतुर्दश भक्त करते। षोडश भक्त करते, द्वादश भक्त करते। चतुर्दश भक्त करते, दशम भक्त करते। द्वादश भक्त करते,
अष्टम भक्त करते। दशम भक्त करते,
षष्ठ भक्त करते। अष्टम भक्त करते, चतुर्थ भक्त करते। षष्ठ भक्त करते,
चतुर्थ भक्त करते। करके सर्वत्र सर्वकाम गुणित आहार से पारणा करते।
इस प्रकार यह लघुसिंहनिष्क्रीड़ित तपः कर्म की प्रथम परिपाटी छ: मास और सात अहोरात्र से सूत्रानुसार............... यावत् आराधित होती है।
२१. तयाणंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति, नवरं--विगइवज्जं
पारेति॥
२१. तदन्तर वे दूसरी परिपाटी में चतुर्थ भक्त करते। विशेष--विकृति
वर्जित आहार से पारणा करते।
२२. एवं तच्चा वि परिवाडी, नवरं--पारणए अलेवाडं पारेंति॥
२२. इस प्रकार तीसरी परिपाटी भी करते। विशेष--पारणा में लेप रहित
आहार से पारणा करते।
२३. एवं चउत्था वि परिवाडी, नवरं--पारणए आयंबिलेण पारेति॥
२३. इस प्रकार चौथी परिपाटी भी करते। विशेष--पारणा में आचाम्ल
से पारणा करते।
२४. तएणं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागंसीहनिक्कीलियं
२४. वे महाबल प्रमुख सातों अनगार लघुसिंहनिष्क्रीड़ित तप:कर्म की दो
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