Book Title: Yatindrasuri Abhinandan Granth
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
जीवन
मगसर दि १ को सुबह ७ बजे आपश्री ने मुनि - मण्डल सह विहार किया । गाँव के बहार गुरुदेव श्री ने मांगलिक प्रवचन सुनाते हुये यही कहां कि राणापुर श्री संघ ने जो यहां कार्य किये हैं वे सभी प्रशंसनीय हैं, किन्तु हां, आपने जो कार्य यहां चालू किये हैं उनमें कोई भी प्रकार की रुकावट मत करना । गुरुदेव की कृपा से सब आनन्द ही होगा । इतना आशीर्वाद देकर आचार्य श्री ने आगे विहार किया ।
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रास्ते में खडकुई, पारा, पडासली, छडावद होकर आप मगसर सुदि ६ को श्री मोहन खेडा तीर्थ क्षेत्र में पधारे। यहां पर मगसर सुदि १० को श्री पार्श्वनाथ भगवान् के नूतन मंदिर की प्रतिष्ठा की। वहां से इग्यारस को राजगढ़ गांव में पधारे। यहां से विहार तो बहुत ही जल्दी करना था, किन्तु श्री संघ के आग्रह से आप पौष सुदि ७ तक यहीं विराजे ।
गुरु-सप्तमी बड़े ही समारोह के साथ में यहीं पर मनाई गई और पश्चात् कार्य वशात कुछ रोज ठहर कर नागदा श्री संघ की विनती को स्वीकार कर माघ सुदि १० को विहार कर मार्ग में बोला, जोलाणा, लाबरीया, वरमन्ड एवं खतगढ़, बदनावर, काछी बडोद, रतागड खेडा, गजनी खेडा, पचलाना, कमेड, मडावदा आदि गांवों में धर्मोपदेश प्रदान करते हुवे खाचरौद हो कर नागदा पधारे। वहां पर फाल्गुन सुदि ४ के दिन प्रतिष्ठा का आयोजन आप ही की सानिध्यता में सम्पन्न किया गया। यहां पर प्रतिष्ठा का कार्य सम्पन्न करवा कर आपश्री खाचरौद पधारे। खाचरौद श्री संघ के आग्रह से आप कुछ रोज वहीं विराजे । वहां के श्री संघ को यह तो ज्ञान था ही की वर्त्तमानाचार्य देव श्री का " हीरक जयन्ती ” मनाने का समाज में कई रोज से विचार चल रहा है। क्योंन यह शुभ कार्य खाचरौद में सम्पन्न किया जाय ? यह विचार होते ही श्री संघ ने विचार कर यह कार्य चैत्र सुदि तेरस (१३) २ अप्रेल से ५ अप्रेल १९५८ वैशाख वदि १ तक चार दिन का उत्सव मनाना निश्चित कर दिया ।
हर्ष की बात तो यह है कि जहां पर आप श्री ने अल्प वय में १९५४ में स्वर्गस्थ विद्वशिरोमणि श्रीमद्विजय प्रभु राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के शुभ हस्त से भागवती दिक्षा अंगीकार की थी वहां पर ही आपके धन्य जीवन का ६० वर्ष के दीर्घ तपस्वी जीवन का " हीरक जयन्ती " उत्सव कर एक “ अभिनन्दन ग्रन्थ " भेट करने का आयोजन किया जारहा है ।
इस शुभ महोत्सव की आमंत्रण पत्रिका के साथ में खबर भेज दीगई । इस शुभावसर पर विद्वद्सम्मेलन, कवि-सम्मेलन, संगीत सम्मेलन आदि का आयोजन किया गया ।
५ अप्रेल को आपश्री को " अभिनन्दन ग्रन्थ " भेट दिया गया । इस के उत्तर में आप श्री ने समाज को संबोधित करते हुये कहा कि -
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